पेड़ धरा का हरा सोना है
ये कैसा कलयुग आया है
अपने स्वार्थ के खातिर
इंसान जो पेड़ काट रहा है
अपने ही पैर में कुल्हाड़ी मार रहा है
बढते ताप में स्वयं नादान जल रहा है
बढ़ रही है गर्मी,कट रहे हैं पेड़
या कट रहे हैं पेड़ बढ़ रही है गर्मी
शहरीकरण, औद्योगीकरण,
ग्लोबल वार्मिंग तेजी से बढ़ रहा है
पारिस्थितिकी संतुलन बिगड़ रहा है
ग्रीन हाउस गैस बढ़ रहा है
धरती का सुरक्षा – कवच
है जो ओजोन परत,नष्ट होने से बचाना है
पेड़ के प्रति हमारी बड़ी है जिम्मेदारी
पेड़ जीवन दायिनी है हमारी
खूब पेड़ लगाना है
आने वाली पीढ़ी को अपंग
होने से बचाना है
पेड़ है प्रकृति का अनमोल वरदान
पेड़ ना हों तो अवश्य बढेगा तापमान
बिन पेड़ के कोई प्राणी का अस्तित्व कहाँ
पेड़ तो जीते दूसरों के लिए यहाँ
पेड़ का महत्व समझें
पेड़ हैं तो हम हैं
पेड़ “धरा” का हरा सोना है
इसे नहीं हमें खोना है।
धनेश्वरी देवांगन धरा
रायगढ़ (छत्तीसगढ़,)
मो. नं. 8349430990
कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद