ट्विंकल शर्मा-श्रध्दांजली
धरती मांता सिसक रही है,देख के हैवानी करतूत!
मां भी पछता रही है उसकी,मैने कैसे जन्मा ये कपुत!!
पढ़कर खबरो को सैकड़ो,माताओ के अश्क गिरे!
सोच रही है क्यो जिंदा है,ये वहशी अबतक सरफिरे!!
दरिंदे उसकी नन्ही उम्र का,थोड़ा तो ख्याल किया होता!
नज़र मे बेटी मुरत लाकर,थोड़ा तो दुलार किया होता!!
कैसे पत्थर दिल इंसा हो तुम,सोच रहा है हर मानव!
नर पिशाच्य है इंसा रुप मे,या नराधमी है ये दानव!!
कलम भी थर्राती है लिखने,साहस ना कर पाती है!
ऎसी खबरो को लिखने को,स्याही भी सुख जाती है!!
जाहिद,असलम दोनो सुनलो,तुम तो ना बच पाओगे!
बदतर जहान्नुम से जो हो,वही सजा तुम पाओगे!!
उन्नाव,दामिनी,और कठुआ,अब अलिगढ़ का जो मंजर है!
कुछ को सजा कुछ बच जाए ,कानुन व्यवस्था लचर है!!
पांच साल से मन्नत करके,और चिकीत्साओ के बाद!
तब जाकर पाई थी ट्विंकल,जैसी सुंदर ये औलाद!!
केवल दस हजार की खातिर,ये भयावह काम किया!
मासुम का वहशी दरिंदो ने,सरासर कत्ले आम किया!!
आखिर कबतक ऎसे मंजर,तुम्हे देखने का ईरादा है!
इन्हे जनता को सौप दो देंगे,वो सही सजा मेरा वादा है!!
ट्विंकल तेरी हर यादो को,खूब संजोया जाएगा!
श्रध्दांजली मे ऎसा मंजर,वादा है ना दोहरा जाएगा!!
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कवि-धनंजय सिते(राही)
Mob-9893415828
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कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद