कैसे कह दूं कि मुझे तुमसे प्यार हुआ नहीं

कैसे कह दूं कि मुझे तुमसे प्यार हुआ नहीं 

 सबको कई बार होता मुझे एक बार हुआ नहीं ,

तुम्हें देखने को ये दिल भी बेकरार हुआ नहीं,

कोशिश बहुत की इस कम्बख्त दिल ने मगर ,

फिर भी मुझसे इश्क का इज़हार हुआ नहीं ,

मेरी नजरें मिली नहीं तुम्हारी नजरों से ज़रा भी ,

मुझे नजरें मिलाने का भूत भी सवार हुआ नहीं ,

जो मग़रूर है वो भी मोहब्ब्त में इंतेज़ार करते हैं ,

पर मेरे इस दिल से जरा भी इंतेज़ार हुआ नहीं ,

जरा सी भी तुम्हारी याद मुझे आई नहीं और ,

रातों को वो मोहब्ब्त वाला बुखार हुआ नहीं,

मैं ऐसी कई झूठी बातें बना के कह तो दूँ मगर,

मै कैसे कह दूँ कि मुझे तुमसे प्यार हुआ नहीं !!

आरव शुक्ला

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