मनीभाई की तांका
नंद के लाला
ब्रज का तू गोपाला
है भोला भाला
भाये बांसुरी तेरी
छाये प्रेम घनेरी।।
-मनीभाई
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नाचते देखा
देव विसर्जन में
लोगों को
लिए फूहड़पन
डीजे केे तरानों में।
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मैं नहीं एक
मेरे रूप अनेक
मैं ही ना जानूँ
मेरी हकीकत को
मुझसे मिला दे तू।
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मनीभाई ‘नवरत्न’
मनीभाई की ताकाँ
आता न कल
महाकाल विजेता
कर तो शुरू
अपना अभियान
लाना गर तूफान।