नैन पर दोहे

  नैन पर दोहे

दुनिया    के   सबसे   बड़े, , जादूगर  ये  नैन।
इनके बिन मिलता कहाँ ,भला किसी को चैन?
कमल-नयन   श्रीराम  हैं , त्रिलोचन  महादेव।
सृजन  प्रलय  के  हेतु   हैं  ,ये  देवों  के  देव।
नयन   समंदर   झील हैं   ,नैन  तीर  तलवार।
नैन   जिसे  ले   डूबते,  अलग  कहाँ  उद्धार।
नील-गगन  भी  नयन  हैं , जिन  में तारे मौन।
मन -पंछी  उड़ते  यहाँ  ,रोक सका  है  कौन?
खारा -दरिया ये नयन ,बनते जब – जब नाव।
तोड़  भाव  बंधन  सभी , धोते   पलकें पाँव।

सुनील_गुप्ता केसला रोड सीतापुर

सरगुजा छत्तीसगढ
कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद