माता पिता पर कविता
धन्य – धन्य माता -पिता ,धन्य आपका प्यार I
तन देकर ‘माधव’ किया ,बहुत बड़ा उपकार ll
ब्रह्मा , विष्णू बाद में , नन्दी के असवार I
‘माधव’ पहले मात -पितु , बन्दउँ बारम्बार ll
कोरे कागज पर लिखा , तुमने भला सुलेख I
‘माधव’ जैसा आज हूँ , अपनी ही छवि देख Il
मात – पिता साकार इक , ईश्वर का ही अंश I
कभी माफ़ करता नहीं ‘माधव’ दे जो दंश ll
चुकता कर सकता नहीं ,मात-पिता का कर्ज I
‘माधव’ नहीं बिसारिये , याद रखो निज फर्ज ll
सन्तोष कुमार प्रजापति ‘माधव’
कबरई जि. – महोबा ( उ. प्र. )