धीरे धीरे पर कविता-मनोज बाथरे
धीरे धीरे पर कविता
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बिखरती हुई जिंदगी
वीरान सी राहें
समय गुजर रहा है
धीरे धीरे
हम अपने अस्तित्व की
तलाश में
निकल पड़े उन
राहों पर
मन विचलित है
उदास है
फिर भी कर रहे हैं
मंजिलें तलाश हम
धीरे धीरे
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धीरे धीरे
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निकल पड़े उन
राहों पर
मन विचलित है
उदास है
फिर भी कर रहे हैं
मंजिलें तलाश हम
धीरे धीरे
"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।