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हमारे लिए पर कविता

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तुम हमारे
लिए क्या हो
और
हम तुम्हारे लिए
क्या है
ये दोनों एक दूसरे के
पूरक हैं
सिक्के के दो पहलू
की तरह
हम तुम्हारे लिए
जीते हैं
और
तुम हमारे लिए
यही इस जहां का
यथार्थ है।।

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