अंतरात्मा पर कविता
मेरा संबंध तुमसे
अंतरात्मा का है।
हाँ बाहृा जगत में
हम पृथक ही सही,
न दिखे ये रिश्ता
जग में कहीं
मन का जुड़ाव
मन से तो है ।
मेरा संबंध तुमने
अंतरात्मा का है।
भू से अंबर तक
हर जगह तुम
मेरी नजरों में हो।
मेरी हर धडकन में तुम
जैसे हवा का संचार,
सांसो के लिये है,
जल का सिंचन,
जीवन के लिये है।
वैसे ही एक से हम,
और हमारी आत्मा है।
मेरा संबंध तुमसे,
अंतरात्मा का है।
कालिका प्रसाद सेमवाल
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