हिंदी संग्रह कविता- वीर बालक

वीर बालक प्रेरणादायक कविता हम प्रभात की नई किरण हैं,हम दिन के आलोक नवल।हम नवीन भारत के सैनिक,धीर, वीर, गम्भीर, अचल।हम प्रहरी ऊँचे हिमाद्रि के,सुरभि स्वर्ग की लेते हैं।हम हैं…

हिंदी संग्रह कविता-सुख-शांतिमय संसार हो

सुख-शांतिमय संसार हो कविता संग्रह सुख-शांतिमय संसार हो। पशु-शक्ति का न प्रयोग हो, सद्भाव का उपयोग हो, सबसे सदा सहयोग हो, निज चित्त पर निज वित्त पर सबका सदा अधिकार…
struggle

हम उजाला जगमगाना चाहते हैं -केदारनाथ अग्रवाल

हम उजाला जगमगाना चाहते हैं -केदारनाथ अग्रवाल प्रातःकालीन दृश्य हम उजाला जगमगाना चाहते हैंअब अँधेरे को हटाना चाहते हैं। हम मरे दिल को जिलाना चाहते हैं,हम गिरे सिर को उठाना…

सपनों को साकार करें -प्रेमशंकर रघुवंशी

सपनों को साकार करें -प्रेमशंकर रघुवंशी प्रेरणादायक कविता आओ, हम सब भारत मां की माटी से श्रृंगार करें! यह वह धरती, जिसने हमको निज उत्सर्ग सिखाया है,यह वह धरती, जिसने…
village based Poem

गाँव की महिमा पर अशोक शर्मा जी की कविता

गाँव की महिमा पर अशोक शर्मा जी की कविता गांव और शहर लोग भागे शहर-शहर , हम भागे देहात,हमको लागत है गाँवों में, खुशियों की सौगात।उहाँ अट्टालिकाएं आकाश छूती, यहाँ…

प्रताप का राज्यारोहण-बाबूलाल शर्मा

प्रताप का राज्यारोहण-बाबूलाल शर्मा कविता संग्रह मापनी- २२१ २२२, १२२ १२२ २२ वाचिक. *प्रताप का राज्यारोहण*. १सामंत दरबारी, कहे यह कुँवर खल मति मद।रक्षण उदयपुर हित, सँभालो तुम्ही राणा पद।सौगंध…

पृथ्वीराज चौहान पर दोहे – बाबू लाल शर्मा

पृथ्वीराज चौहान पर दोहे (दोहा छंद)अजयमेरु गढ़ बींठली, साँभर पति चौहान।सोमेश्वर के अंश से, जन्मा पूत महान।। ग्यारह सौ उनचास मे, जन्मा शिशु शुभकाम।कर्पूरी के गर्भ से, राय पिथौरा नाम।।…

मतदान विषय पर दोहे- बाबू लाल शर्मा

मतदान विषय पर दोहे- बाबू लाल शर्मा सोच समझ मतदान (दोहा-छंद)1.मत अयोग्य को दें नहीं, चाहे हो वह खास।वोट देय हम योग्य को, सब जन करते आस।। 2.समझे क्यों जागीर…

शुभकामना विषय पर दोहा -बाबू लाल शर्मा

शुभकामना विषय पर दोहा -बाबू लाल शर्मा करूँ सदा शुभ कामना, उन्नत होवे देश।भूमण्डल सरनाम हो, उज्ज्वल हो परिवेश।। देश वासियों के लिये, नये साल संदेश।जनता को शुभकामना, खुशियाँ सभी…

मकर से ऋतुराज बसंत (दोहा छंद)-बाबू लाल शर्मा

मकर से ऋतुराज बसंत (दोहा छंद)-बाबू लाल शर्मा सूरज जाए मकर में, तिल तिल बढ़ती धूप।फसले सधवा नारि का, बढ़ता रूप स्वरूप।।.पशुधन कीट पतंग भी, नवजीवन मम देश।वन्य जीव पौधे…