हिंदी संग्रह कविता-नये समाज के लिए

नये समाज के लिए नये समाज के लिए नया विधान चाहिए।असंख्य शीश जब कटेस्वदेश-शीश तन सका,अपार रक्त-स्वेद से,नवीन पंथ बन सका।नवीन पंथ पर चलो, न जीर्ण मंद चाल से,नयी दिशा,…

शिव स्तुति

इन्द्रवज्रा/उपेंद्र वज्रा/उपजाति छंद बासुदेव अग्रवाल 'नमन'प्रस्तुत कविता शिव स्तुति भगवान शिव पर आधारित है। वह त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव महादेव, भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ, गंगाधार आदि नामों से भी जाना जाता है।

गणेश वंदना- कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

इस रचना के माध्यम से गणेश जी की वंदना की गयी है | गणेश वंदना- कविता - मौलिक रचना - अनिल कुमार गुप्ता "अंजुम"

तुम न छेड़ो कोई बात – कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

इस कविता के माध्यम से मानव को सही दिशा में बढ़ने के लिए प्रेरित किया गया है | तुम न छेड़ो कोई बात - कविता - मौलिक रचना - अनिल कुमार गुप्ता "अंजुम"

शुभ दीवाली आई है- कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

इस कविता के माध्यम से दीवाली जैसे पावन त्यौहार की गरिमा का वर्णन किया गया है | शुभ दीवाली आई है- कविता - मौलिक रचना - अनिल कुमार गुप्ता "अंजुम"

धरती माँ- कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

इस रचना में धरती माँ के साथ हुए अत्याचार का विवरण मिलता है | साथ ही लोगों को धरती माँ की सेवा हेतु प्रेरित करने का प्रयास किया गया है | धरती माँ- कविता - मौलिक रचना - अनिल कुमार गुप्ता "अंजुम"

वाणी और भाषा का प्रयोग – प्रिया शर्मा

मेरी ये दोहावली संत कबीर के एक दोहे को लेकर आज के समयानुसार बढ़ाने का छोटा सा प्रयास एवं हिंदी भाषा के प्रति जागरूकता के सापेक्ष है।

आओ मिल प्रण करें हम- कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

इस रचना में कवि जीवन में कुछ आदर्श स्थापित करने के लिए प्रेरित कर रहा है जिससे जीवन को एक सही दिशा मिल सके | आओ मिल प्रण करें हम- कविता - मौलिक रचना - अनिल कुमार गुप्ता "अंजुम"

अनैतिकता के पाताल के गर्त में- कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

इस रचना के माध्यम से कवि जीवन को एक दिशा की ओर ले जाना चाहता है | जीवन में जो गलतियां की जाती हैं उनकी ओर भी पाठकों का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की गयी है | अनैतिकता के पाताल के गर्त में- कविता - मौलिक रचना - अनिल कुमार गुप्ता "अंजुम"

चल रहा हूँ उस पथ पर – कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

इस रचना के माध्यम से कवि जीवन को उस दिशा में ले जाना चाहता है जहां उसे उसकी मंजिल मिल सके | चल रहा हूँ उस पथ पर - कविता - मौलिक रचना - अनिल कुमार गुप्ता "अंजुम"