by कविता बहार | Jul 5, 2021 | हिंदी कविता
चंद फूलों की खुशबू – अनिल कुमार गुप्ता चंद फूलों की खुशबू से कुछ नहीं होता चलो फूलों का उपवन एक सजाएं चंद मोतियों से कुछ नहीं होता चलो मोतियों की माला एक बनाएं चंद सितारों से कुछ नहीं होता सितारों से सजा एक गगन बनाएं चंद फूलों से कुछ नहीं होता चलो फूलों का उपवन... by कविता बहार | Jul 3, 2021 | हिंदी कविता
कोशिश फिर से करते हैं आओ एक कोशिश फिर से करते हैं,टूटी हुई शिला को फिर से गढ़ते हैं।आओ एक कोशिश फिर से करते हैं,हाँ, मैं मानता हूँइरादे खो गए,हौसले बिखर गए,उम्मीद टूट चुकी,सपनों ने साथ छोड़ दिया,हमने कई अपनों को गवाया,अपनों से खूब छलावा पाया,तो क्या हुआ? अभी तक जिंदगी... by कविता बहार | Jul 3, 2021 | हिंदी कविता
ये भी विकलांगता है कविता संग्रह नर मूर्तियाँ बना प्रभु ने ,किया काम उत्तमता है।रह गयी कुछ कमियाँ,जग कहे अपंगता है।ये भी……………….। पाँव एक ही होकर भी ,गिरी राज लांघता है ।जो है दो पैरों वाला,देखो टाँग खींचता है।ये भी……………….। पैदा हुआ है मंद बुद्धि,खामोश ही रहता है।जो... by कविता बहार | Jun 30, 2021 | विविध छंदबद्ध काव्य
दीप शिखा- ( ताटंक छंद विधान ) छंद ताटंक छंद विधान- १६,१४, मात्रिक छंद,चरणांत में, तीन गुरु (२२२) अनिवार्य है। दो, दो चरण समतुकांत हो। चार चरण का एक छंद होता है। सुनो बेटियों जीना है तो,शान सहित,मरना सीखो।चाहे, दीपशिखा बन जाओ,समय चाल पढ़ना सीखो।रानी लक्ष्मी दीप शिखा... by कविता बहार | Jun 30, 2021 | विविध छंदबद्ध काव्य
११ मात्रिक नवगीत – पीत वर्ण पात हो घाव ढाल बन रहे. स्वप्न साज बह गये।. पीत वर्ण पात हो. चूमते विरह गये।।काल के कपाल पर. बैठ गीत रच रहा. प्राण के अकाल कवि. सुकाल को पच रहा. सुन विनाश गान खगरोम की तरह गये।पीत वर्ण……….।।फूल शूल से लगेमीत भयभीत...