कविता बहार

कविता बहार

"कविता बहार" हिंदी कविता का लिखित संग्रह [ Collection of Hindi poems] है। जिसे भावी पीढ़ियों के लिए अमूल्य निधि के रूप में संजोया जा रहा है। कवियों के नाम, प्रतिष्ठा बनाये रखने के लिए कविता बहार प्रतिबद्ध है।

मैं जग-जीवन का भार लिए फिरता हूँ- मनीभाई नवरत्न

मैं जग-जीवन का भार लिए फिरता हूँ,फिर भी जीवन में प्यार लिए फिरता हूँ;कर दिया किसी ने झंकृत जिनको छूकरमैं साँसों के दो तार लिए फिरता हूँ। मैं स्नेह-सुरा का पान किया करता हूँ,मैं कभी न जग का ध्यान किया…

सीताराम सीताराम सीताराम कहिए

सीताराम सीताराम सीताराम कहिए सीताराम सीताराम सीताराम कहिए।जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिए।। 1. मुख में हो राम नाम, राम सेवा हाथ में,तू अकेला नहीं प्यारे, राम तेरे साथ में,विधि का विधान जान, हानि-लाभ सहिए।। 2. किया अभिमान तो…

चाह गई चिंता मिटी

चाह गई चिंता मिटी, मनुआ बेपरवाह।जिनको कछु न चाहिए, वे साहन के साह॥ रहीम कहते हैं कि किसी चीज़ को पाने की लालसा जिसे नहीं है, उसे किसी प्रकार की चिंता नहीं हो सकती। जिसका मन इन तमाम चिंताओं से…

मेरी प्यारी हिन्दी / प्रभात सनातनी “राज’

हिन्दी भारत की राजभाषा और विश्व की प्रमुख भाषाओं में से एक है। यह देवनागरी लिपि में लिखी जाती है और संस्कृत, फारसी, अरबी, तुर्की और अंग्रेज़ी जैसी भाषाओं से प्रभावित है। हिन्दी का साहित्यिक और व्यावहारिक रूप व्यापक है,…

संक्रांति पर कविता/ रेखराम साहू

संक्रांति हिंदू पंचांग के अनुसार सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने को कहा जाता है। वर्ष में कुल 12 संक्रांतियाँ होती हैं, लेकिन सबसे प्रमुख मकर संक्रांति मानी जाती है, क्योंकि इस दिन सूर्य धनु राशि…