धरती माँ से सुनी कल एक कहानी दूध की नदियाँ और सोने की चिड़िया थी कभी आँचल रत्नगर्भा और पानी की अमृतधारा थी यहीं वृक्षों की ठंडी छाँह और खट्टे-मीठे फल का स्वाद परोसती थी वो कभी ।
आज मुझे वो मिली है- जहरीली हवाओं की दम घोंटू साँस और अम्लीय वर्षा की चिंता लिए सीना छलनी हुए बोरवेल से छिद्रित आँचल का दर्द लिए पानी की घूँट को तरसती सीने में ज्वाला धधकाती ओज़ोन की फटी छतरी ओढ़े विषैले कचरों का बोझा ढोए मज़बूर है अपनी ही जैव सम्पदाओं को नष्ट होता देखने को वाकई धरा:कौन जाने दर्द तेरा।
सबको अपने दर्द की चिंता है बदलते मौसम से कोफ़्त है समस्याएँ सबको पता है समाधान भी जानते हैं लेकिन ये प्रकृति के शहंशाह जो ठहरे धरा की आर्तनाद पुकार वहाँ तक पहुँचे भी तो कैसे।
धरा जानती है इन्हें किसी माँ की तरह सुधारना भूकम्प, सुनामी और बाढ़ के पुराने तरीके छोड़ अब यह गुस्से से कूकर बनी बैठी है अपने ही कोप भवन में लोग वैश्विक चर्चा में मशगूल हैं इसे कैसे मनाया जाय।
इन सबसे दूर मैं पेड़ लगाते हुए अकेले बुला रहा हूँ लौटे हुए परिंदों को दुलार रहा हूँ अपने इकोसिस्टम की जैव सम्पदाओं को इस उम्मीद के साथ कि एक दिन कारवाँ ज़रूर बनेगा एक दिन ज़रुर ये नादान लोग शिकायत नहीं रहने देंगे कि- धरा:कौन जाने दर्द तेरा।
रमेश कुमार सोनी कबीर नगर-रायपुर, छत्तीसगढ़ मो.-70493-55476
राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी का वर्णन कविता “गांँधीजी का ज्ञान” के माध्यम से किया गया है।
गांँधीजी का ज्ञान
राष्ट्रपिता महात्मा गांँधी का करूंँ मैं बखान, अहिंसा से बना दिया हिन्दुस्तान को महान। भारत में जन्म लिया सत्य अहिंसा का वादी, नाम था जिनका मोहनदास करमचंद गांँधी। देश की आजादी के लिए चढ़ा परवान, सत्य अहिंसा है सर्वोपरि,गांँधीजी का ज्ञान।
सत्य अहिंसा का सूत्र अपने जीवन में बांँधी, माता-पिता थे पुतलीबाई और करमचंद गांँधी। दक्षिण अफ्रीका गए गांँधी, था धन का अभाव, दूर किया अस्पृश्यता ,काले गोरे का दुष्प्रभाव। अफ्रीका में होने लगा, गांँधीजी का गुणगान, सत्य अहिंसा है सर्वोपरि, गांँधीजी का ज्ञान।
तोड़ा अंग्रेजों का असत्य तानाशाही-अभिमान, गांँधी को बापू नाम से पुकारे भारतीय किसान। अंग्रेजों ने भारत में अपनी मुँह की खाई, जब लड़े गांँधी संग सरदार वल्लभभाई। हिन्द मुस्लिम सिक्ख ईसाई सब है समान. सत्य अहिंसा है सर्वोपरि,गांँधीजी का ज्ञान।
असहयोग आंदोलन से अंग्रेजों की कमर टूटी, स्वराज-दांडी यात्रा से अंग्रेजों की भाग्य फूटी। नरम और गरम दल का मिला सहयोग, गांँधी-सुभाष के साथ चलने लगे लोग। कम्पीत-भयभीत था अंग्रेजी-हुक्मरान सत्य अहिंसा है सर्वोपरि,गांँधीजी का ज्ञान।
हिन्दुस्तान में था हिंदू-मुस्लिमों का बुरा हाल, एकता को तोड़ने के लिए गोरों ने चला चाल। भारत में उदय हुआ स्वतंत्रता का प्रभात, 15अगस्त1947को भारत हुआ आजाद। हरिजन आदिवासियों को मिला सम्मान, सत्य अहिंसा है सर्वोपरि,गांँधीजी का ज्ञान।
30 जनवरी 1948 को नाथूराम ने गोली मारी, हो गए शहीद राष्ट्रपिता गांँधी रोई दुनिया सारी। करेंगे रक्षा-सेवा मातृभूमि का हम हैं हिन्दुस्तानी, भारत के लिए हुए शहीद कई स्वतंत्रता सेनानी। कहता है अकिल देश का बढ़ाओ मान, सत्य अहिंसा है सर्वोपरि,गांँधीजी का ज्ञान।
— अकिल खान रायगढ़ जिला – रायगढ़ (छ.ग.) पिन – 496440.
मनुजता शूचिता शुभता,खुशियों की पहचान होती है। जहाँ बिटिया के मुखड़े पर,धवल मुस्कान होती है। इसी बिटिया से ही खुशियाँ,सतत उत्थान होती है। जहाँ बिटिया के मुखड़े,पर धवल मुस्कान होती है।
सदन में हर्ष था उस दिन,सुता जिस दिन पधारी थी। दिया जिसने पिता का नाम,यह बिटिया दुलारी थी। महा लक्ष्मी यही बेटी,यही वात्सल्य की दानी। सदा झंडा गड़ाती है,सुता जिस दिन जहाँ ठानी। मिटाने हर कलुषता को,सुता को ज्ञान होती है। जहाँ बिटिया के मुखड़े पर,धवल मुस्कान होती है।
यही बंदूक थामी है,जहाजे भी उड़ाती है। यही दो कुल सँवारी है,यही सबको पढ़ाती है। सुता सौंधिल मृदुल माटी, सुता परित्राण की घाटी। सुता से ही सदा सजती,सुखद परिवार परिपाटी। मगर क्योंकर पिता के घर,सुता मेहमान होती है। जहाँ बिटिया के मुखड़े पर,धवल मुस्कान होती है।