जीना अब आसान नहीं है
*ग़ज़ल* बहर- 2222 2222
काफिया- आन, रदीफ़- नहीं है
*ग़ज़ल* बहर- 2222 2222
काफिया- आन, रदीफ़- नहीं है
पुलवामा की घटना पुलवामा की घटना देख, देश बड़ा शर्मिंदा है।धिक्कार हमारे भुजबल पर , अब तक कातिल जिन्दा है।वो बार -बार हमला करते , हम शांति वार्ता करते है।दुश्मन इस गफलत में है, शायद हम उससे डरते है।गीदड की…
अब तो बस प्रतिकार चाहिए आज लेखनी तड़प उठी हैभीषण नरसंहार देखकर।क्रोध प्रकट कर रही है अपनाज्वालामुखी अंगार उगलकर।दवात फोड़कर निकली स्याहीतलवारों पर धार दे रही।कलम सुभटिनी खड्ग खप्पर लेरण चण्डी सम हुँकार दे रही।जीभ प्यास से लटक रहीवैरी का…
शारदे आयी हो मेरे अंगना हे माँ शारदे, महाश्वेता आयी हो मेरे अंगना ।पूजूँगा तुम्हें हे शतरूपा, वीणापाणि माँ चंद्रवदना ।। बसंत ऋतु के पाँचवे दिवस पर हंस पे चढ़ कर आती हो।हे मालिनी इसलिए तुम हंसवाहिनी कहलाती हो।।माता तुम…
पिया जी देखो वसंत आ गया पेड़ो के झुरमुट से आतीकोयल की मीठी बोलीफूलों की हर कली पर देखोमतवाले भवरों की टोलीआम वृक्ष मंजरी व टिकोरो से लदबद गया ।पिया जी देखो वसंत आ गया ।। बेल वृक्ष पर आये…