मनीभाई नवरत्न के दोहे
मनीभाई नवरत्न के दोहे 1)मित सुख दे भ्राता- पिता , सपूत भी सुख दे मित।सुखी होती वो नारी , जो सुख दे पति नित।।2)धन संचय कर ना साधु ,धन का नहि होती ठौर।आज इसके पास है ,कल हो जाए किसी और।।3)धन की महिमा है बड़ी, धन से ही विपदा टरे।धन नहीं आज तेरे संग ,कल … Read more