भारत माता रोती है
जब-जब सीमा पर अपना,वीर सपूत खोती है ।
तब भारत माता रोती है,तब भारत माता रोती है ।।
सीने से लगाकर मां जिसको दूध पिलाती ।
गोद में बिठाकर मां जिसको रोटी खिलाती ।
छाती में लिटाकर मां जिसको लोरी सुनाती।
बाहों में झूलाकर मां जिसको रोज सुलाती ।
जब कोई मांअपने लाल का,पुण्यतिथि मनाती है ।।
तब भारत माता रोती है………..
दो भाई आपस में जब रक्त की धार बहाते ।
कुछ पाने की चाह में सब कुछ छोड़ जाते ।
चंद – कौड़ियों के खातिर ईमान बेच जाते ।
छीन कर निवाला औरों का अपना पेट भर जाते।
ऐसे स्वार्थी कपूतों से,मां को घुटन सी होती है ।।
तब भारत माता रोती है…………
जब किसी निर्दोष को सरेआम पीटा जाता ।
जब किसी शूरवीर का सबूत मांगा जाता।।
अपने स्वार्थ साधने को भूमि को जिसने बांटा ।
अपना घर भरने को, वनों को जिस ने काटा ।
ऐसे अपराधी बेटों से,मां भी शर्मिंदा होती है ।।
तब भारत माता रोती है…………
जब मां की छाती पर बारूद फोड़ा जाता ।
जब मां की बेटी का आबरू लूटा जाता ।
जब मां के संतानों का खून बहाया जाता।
जब मां के आंचल को लोहे से छेदा जाता ।
असह्य पीड़ा सहकर भी,मर-मर कर जब जीती है ।।
तब भारत माता रोती है…………
हृषिकेश प्रधान “ऋषि”
ग्राम – लिंजीर
तहसील – पुसौर
जिला – रायगढ़ (छत्तीसगढ़ )
कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद