Category हिंदी कविता

मौन का साम्राज्य – मौन और शांति पर गहन कविता

मौन का साम्राज्य” एक गहन दार्शनिक कविता है जिसमें बताया गया है कि शब्द बंधन हैं और मौन ही सच्ची मुक्ति है। पढ़ें यह प्रेरणादायक रचना जो शांति और आत्मज्ञान की ओर ले जाती है। आज का युग शोर और…

ईश्वर का सौदा – मनीभाई नवरत्न की व्यंग्यात्मक कविता

मनीभाई नवरत्न की कविता “ईश्वर का सौदा” समाज पर व्यंग्य करती है कि कैसे इंसान ने ईश्वर को राजनीति, जात-पांत और व्यापार का साधन बना दिया है। पढ़ें यह विचारोत्तेजक रचना। ईश्वर अनंत, शाश्वत और सर्वव्यापी है। लेकिन समय के…

ईश्वर का अपमान – मनीभाई नवरत्न की विचारोत्तेजक कविता

मनीभाई नवरत्न की कविता “ईश्वर का अपमान” में बताया गया है कि इंसान ने ईश्वर की महानता को सीमित कर दिया है। पढ़ें यह विचारोत्तेजक रचना जो समाज की सोच पर गहरा प्रहार करती है।ईश्वर सर्वव्यापी है, उसे किसी मंदिर…

धूल का पांडुलिपि: मनीभाई नवरत्न की मार्मिक कविता | भावनात्मक हिंदी कविता

मनीभाई नवरत्न की कविता “धूल का पांडुलिपि” एक लेखक की अनकही कहानी बयान करती है, जो समाज की सच्चाई को शब्दों में पिरोती है। पढ़ें यह भावनात्मक और विचारोत्तेजक रचना। कविता का उद्देश्य “धूल का पांडुलिपि” कविता का उद्देश्य समाज…

मैं कौन? मनीभाई नवरत्न की आत्मचिंतन से भरी दार्शनिक हिंदी कविता

मनीभाई नवरत्न की कविता “मैं कौन?” आत्म-पहचान और जीवन के गहन सवालों को उजागर करती है। यह दार्शनिक रचना आपको स्वयं की खोज और शून्यता के सत्य की ओर ले जाती है। कविता का उद्देश्य “मैं कौन?” एक गहन दार्शनिक…

दीपोत्सव का आत्मप्रकाश

दीपोत्सव का आत्मप्रकाश(एक आध्यात्मिक कविता) हर वर्ष आता दीप पर्व, लाता रोशनी का संदेश,पर क्या जलाया अंतर्मन, या फिर दीप विशेष?भीतर झांको, पूछो खुद से, क्या बढ़ा है ज्ञान?या अब भी छाया है भीतर, अज्ञान का संधान? निरंतर आत्म-मूल्यांकन, यही…

ब्रह्मचर्य का सत्य: मनीभाई नवरत्न की आध्यात्मिक हिंदी कविता | गहन दार्शनिक रचना

मनीभाई नवरत्न की कविता "ब्रह्मचर्य का सत्य" आत्म-संयम और आध्यात्मिक जागृति की गहन खोज करती है। पढ़ें यह प्रेरक और दार्शनिक रचना जो आत्मा की शुद्धता और सत्य की ओर ले जाती है।

स्वप्नों के पार -मनीभाई नवरत्न

स्वप्नों के पार सपनों की इस बगिया में, छिपा है एक रहस्य,नयन मूँदते ही खुलता, अंतरतम का दर्पण विशेष्य।जहाँ न कोई सीमा होती, न बंधन का नाम,केवल भाव बहते रहते, अंतर्मन की ध्वनि संग्राम।। चेतन की सीमाओं से, जब मन…

मातृभाषा बनाम माध्यम

मातृभाषा बनाम माध्यम में शिक्षा का असली उद्देश्य क्या है? क्या अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाना ही शिक्षा का मापदंड है? और इसके क्या समाधान हो सकते हैं ? इस पर प्रकाश डालने की कोशिश की गई है । आज भारत…

मैं जग-जीवन का भार लिए फिरता हूँ- मनीभाई नवरत्न

मैं जग-जीवन का भार लिए फिरता हूँ,फिर भी जीवन में प्यार लिए फिरता हूँ;कर दिया किसी ने झंकृत जिनको छूकरमैं साँसों के दो तार लिए फिरता हूँ। मैं स्नेह-सुरा का पान किया करता हूँ,मैं कभी न जग का ध्यान किया…