Category हिंदी कविता

हिंदी संग्रह कविता- माँ! बस यह वरदान चाहिए

माँ! बस यह वरदान चाहिए माँ बस यह वरदान चाहिए।जीवन-पथ जो कंटकमय हो, विपदाओं का घोर विलय हो।किन्तु कामना एक यही बस, प्रतिपल पग गतिमान चाहिए। माँ … हास मिले या त्रास मिले, विश्वास मिले या फास मिले।गरजे क्यों न…

हरिवंशराय बच्चन की १० लोकप्रिय रचनाएँ

हरिवंशराय बच्चन की १० लोकप्रिय रचनाएँ सादर प्रस्तुत हैं आत्‍मपरिचय / हरिवंशराय बच्‍चन मैं जग-जीवन का भार लिए फिरता हूँ,फिर भी जीवन में प्‍यार लिए फिरता हूँ;कर दिया किसी ने झंकृत जिनको छूकरमैं सासों के दो तार लिए फिरता हूँ!…

उठो स्वदेश के लिए -वंशीधर शुक्ल

उठो स्वदेश के लिए -वंशीधर शुक्ल उठो स्वदेश के लिए, बने कराल काल तुम,उठो स्वदेश के लिए, बने विशाल ढाल तुम! उठो हिमाद्रि शृंग से, तुम्हें प्रजा पुकारती,उठो प्रशस्त पन्थ पर, बढ़ो सुबुद्ध भारती!जगो विराट देश के, तरुण तुम्हें निहारते,जगो…

हिंदी संग्रह कविता-एकता अमर रहे

एकता अमर रहे देश है अधीर रे!अंग-अंग पीर रे!वक्त की पुकार पर,उठ जवान वीर रे!दिग्-दिगंत स्वर रहे!एकता अमर रहे!!एकता अमर रहे !! गृह-कलह से क्षीण आज देश का विकास है,कशमकश में शक्ति का सदैव दुरुपयोग है।हैं अनेक दृष्टिकोण, लिप्त स्वार्थ-साध…

जयी बनो – जयशंकर प्रसाद

कविता बहार में आप का सवागत है आज हम जयशंकर प्रसाद की एक कविता जाई बनो इसके बारे में यह पढेंगे ,आसा है यह कविता आप आत्यन्त पसंद आयेगी जयी बनो – जयशंकर प्रसाद हिमाद्रि तुंग शृंग से प्रबुद्ध शुद्ध…

प्रयाण गीत – गोपालप्रसाद व्यास

प्रयाण संगीत (march) एक प्रकार का संगीत है जो प्रायः सैनिक वाद्य (मिलिटरी बैण्ड) में प्रयुक्त होती है। प्रयाण-गीत गाए जा!- गोपालप्रसाद व्यास प्रयाण-गीत गाए जा ! स्वर में स्वर मिलाए जा।यह ज़िन्दगी का राग है, जवान जोश खाए जा!प्रयाण-गीत गाए जा! तू…

हर हर महादेव पर कविता

हर हर महादेव पर कविता – शंकर या महादेव सबसे महत्वपूर्ण देवताओं में से एक है। वह त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव महादेव भी कहते हैं। इन्हें भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ, गंगाधार आदि नामों से भी जाना जाता है।…

स्वदेश पर कविता – गोपाल सिंह नेपाली

स्वदेशी का अर्थ है- ‘अपने देश का’ अथवा ‘अपने देश में निर्मित’। ओ स्वदेश की जवानियो, चलो उठो-उठो इतिहास की निशानियों, चलो उठो-उठोओ खून की खामियो, चलो उठो-उठोहम जन्म लें स्वतंत्र ही, स्वतंत्र ही मरें,तुम अर्चना करो, अमोघ अर्चना करो…

काँटों पर चलना सीखे – मनीभाई नवरतन

अब काँटों पर चलना सीखें अब तक सुमनों पर चलते थे, अब काँटों पर चलना सीखें॥खड़ा हुआ है अटल हिमालय, दृढ़ता का नित पाठ पढ़ाता।। बहो निरन्तर ध्येय-सिन्धु तक, सरिता का जल-कण बतलाता।अपने दृढ़ निश्चय से पथ की, बाधाओं को…

struggle

प्रेरणा दायक कविता – हम स्वदेश के सपूत

कविता बहार के प्रेरणा दायक कविता में से एक कविता – हम स्वदेश के सपूत हम स्वदेश के सपूत आज पग बढ़ा चले। हाथ में अंगार, है हर चरण पहाड़ है।हम बढ़े जिधर उधर आँधियाँ ही बढ़ चलें।हम स्वदेश के…