पुलिस मेरे शहर की
पुलिस मेरे शहर की अपनी पर आ जाए तोमुर्दों से भी उगलवाती हैजटिल से जटिल मामलायूं मिनटों में निपटाती हैपुलिस मेरे शहर की|| सुस्ती और लापरवाही मेंकितने मामले दबाती हैचाय – पानी के बगैर येमहीनों भर लटकाती हैपुलिस मेरे शहर…
पुलिस मेरे शहर की अपनी पर आ जाए तोमुर्दों से भी उगलवाती हैजटिल से जटिल मामलायूं मिनटों में निपटाती हैपुलिस मेरे शहर की|| सुस्ती और लापरवाही मेंकितने मामले दबाती हैचाय – पानी के बगैर येमहीनों भर लटकाती हैपुलिस मेरे शहर…
नहीं लेता सीख इंसान इनसे जाने क्यों? एक क्यारी मेंअनेक हैं पेड़-पौधेअलग-अलग हैंजिनकी नस्लअलग-अलग हैं गुणअलग-अलग हैं रंग-रूपफिर भीनहीं करते नफरतएक-दूसरे सेनहीं है इनमेंभेदभाव की भावनानहीं मानते किसी कोछोटा या बड़ानहीं है इनमें रंग-भेद हवा की धुन परथिरकते हैं सबएक…
कमाल का हुनर कमाल का हुनररखती हैं पूरे परिवार का ख्याल सभी परिजनों की पसंद-नापसंदका ख्याल सबकी इच्छा-अनिच्छा का ख्याल इतना सुनियोजित प्रबन्धन कमाल का हुनररखती हैं गृहिणियाँइनके हुनर कासमूचा मूल्यांकन अभी बाकी है -विनोद सिल्ला© विनोद सिल्ला 771/14, गीता कॉलोनी, नज. धर्मशालाडांगरा रोड़, टोहानाजिला फतेहाबाद (हरियाणा)पिन कोड 125120संपर्क +919728398500 इस पोस्ट…
बहुत कठिन है वास्तविक होना बहुत कठिन हैवास्तविक होनाकठिन ही नहींअसंभव हैवास्तविक होनावास्तविक हमया तो बचपन में होते हैंया अपने जीवनसाथीके पास होते हैंअसल मेंजीवनसाथी के पास भीवास्तविक होने मेंबहुत से पहलूरह जाते हैंअपने बच्चोंव माता-पिता के समक्षपूरी तरह सेबनावटी…
कवि होना नहीं है साधारण नहीं है साधारण कवि होनानहीं है साधारणअपेक्षित हैं उसमेंअसाधारण विशेषताएंमात्र कवि होना हीबहुत बड़ी बात हैलेकिन फिर भीआत्मश्लाघा के मारेलगते हैं नवाजनेखुद को हीराष्ट्रीय कविवरिष्ठ साहित्यकार केखिताबों सेनाम के आगे-पीछेलगा लेते हैंऐसे उपनामजिन पर…
अनुच्छेद 47 अनुच्छेद संतालिस पढ़, भारतीय संविधान|नशा नियंत्रण सत्ता करे, कर रहा है बखान||कर रहा है बखान, …
16 सितंबर विश्व ओजोन दिन विशेष सूरज है आग का गोला ।जलता है ,बनकर शोला । किरणों में है ,पराबैंगनी ।सबके लिए ,घातक बनी। धन्यभाग, हम मानव का।जो कवच है इस धरा का। ओज़ोनपरत वो कहलाए।घातक किरणें आ ना पाए।…
कब्र की ओर बढ़ते कदम पतझड़ में सूखे पत्ते विदा हो रहे हैंविदा ले रहे हैं, खाँसती आवाज़ें ज़माने सेकुछ पल जी लेने की खुशी सेवृद्धों का झुंड टहलने निकल पड़ा हैदड़बों से पार्क की उदास बेंच की ओरउनकी धीमी…
आतंक पर कुण्डलिया जल जंगल अरु अवनि पर , नर का है आतंक ।नंगा होकर नाचता , …
वृक्षारोपण पर कविता गिरा पक्षी के मुहं से दानाबस वही हुवा मेरा जनम!चालिस साल पुराना हु मैजरा करना मुझ पे रहम!! आज भी मुझको याद हैवह बिता जमाना कल!पहली किरण लि सुर्य कीथा बहुत ही सुहाना पल!! जब था मै…