
माँ पर गजल
यहां पर माधुरी डर सेना द्वारा माँ पर बेहतरीन ग़ज़ल लिखा गया है।यहाँ मान पर हिंदी कविता लिखी गयी है .माँ वह है जो हमें जन्म देने के साथ ही हमारा लालन-पालन भी करती हैं। माँ के इस रिश्तें को…
यहां पर माधुरी डर सेना द्वारा माँ पर बेहतरीन ग़ज़ल लिखा गया है।यहाँ मान पर हिंदी कविता लिखी गयी है .माँ वह है जो हमें जन्म देने के साथ ही हमारा लालन-पालन भी करती हैं। माँ के इस रिश्तें को…
*ग़ज़ल* आज कल अवसाद से गुज़र रहा हूं मैं। बिना तेरे निबाह! कैसे उमर रहा हूं मैं। एक उम्र तक जिंदगी से गिला न रहा, जिंदगी के साये से अब डर रहा हूं मैं। तू था साथ,तो हसीन थे दिन…
ग़ज़ल* •••••••••••••••••••••••••••••••••• आस टूट गयी और दिल बिखर गया। शाख से गिरकर कोई लम्हा गुज़र गया। उसकी फरेबी मुस्कान देख कर लगा, दिल में जैसे कोई खंजर उतर गया। आईने में पथराया हुआ चेहरा देखा, वो इतना कांपा फिर दिल…
खुदा ने अता की जिन्दगी खुदा ने अता की जिन्दगी तुझेमुहब्बत के लिए क्यूं कर बैठा तू दूसरों से नफरतअपने अहम् के लिए खुदा ने अता की जिन्दगी तुझेएक अदद इंसानियत के लिए ऊंच – नीच के बवंडर में उलझ…
होली वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण भारतीय और नेपाली लोगों का त्यौहार है। यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। होली रंगों का तथा हँसी-खुशी का त्योहार है। यह भारत…
यहाँ पर परीक्षा पर कविता (poem on exam in hindi) का संकलन किया है जहाँ पर कवि यह बताने की कोशिश की हैं कि इस जीवन में हर रोज परीक्षा होती है. हर रोज परीक्षा होती है जीवन है संघर्ष…
लाहौर सेंट्रल जेल 23 मार्च 1931 हुआ सवेरा एक नई बहार आई तूफान से मिलने देखो आंधी भी आई कैदियों को अजीब लगा जब चरत ने आकर उनसे कहा सभी को अपनी कोठरी में अभी के अभी जाना है ऊपर…
लोकन बुढ़िया स्कूल कैंपस के ठीक सामनेबरगद के नीचेनीचट मैली सूती साड़ी पहनीमुर्रा ज्वार जोंधरी के लाड़ूऔर मौसमी फल इमली बिही बेर बेचतीवह लोकन बुढ़ियाआज भी याद है मुझे उस अकेली बुढ़िया कोस्कूल के हम सब बच्चे जानते थेमगर आश्चर्य…
आजादी के अलख जगैय्या वीर नारायण तोर जीनगी के एके ठन अधार।सादा जीवन जीबो अउ बढ़िया रखबो विचार।हक के बात आही त, नई झुकन गा बिंझवारअंग्रेज ला चुनौती देबो, मचा देबो हाहाकार। सोनाखान मा जनम लिस, रामराय परिवार।जेकर पूर्वज रिहीन…
मेरे स्कूल का दूध (एक घटना) दुःख ही जीवन की कथा रही यह सदा कष्ट की व्यथा रही। कब तक कोई लड़ सकता है! कब तक कष्टें सह सकता है हो सहनशक्ति जब पीर परे है कौन धीर धर सकता…