Category हिंदी कविता

मंजिल पर कविता – सृष्टि मिश्रा

मंजिल पर कविता राही तू आगे बढ़ता चल, देखो मंजिल दूर नहीं है।मेहनत कर आगे बढ़ता चल, देखो वो तेरे पास खड़ी है।। सच्चाई के ताकत के बल पर,अपने सपनों को पूरा कर।दिखा दे अपने जज्बे को तू,मातृभुमि की रक्षा…

स्वाभिमान पर कविता

स्वाभिमान पर कविता जब शब्द अधरों से परे हुए और कोरे कागज काले कर जायें तो जब अंधेरा ही अंधेरा हो और एक चिंगारी जल जाए तो जब हार गए और टूट गए बिखरे फिर भी रूके नहीं स्वाभिमान फिर…

माँ शारदे की कृपा

माँ शारदे की कृपा अज्ञानता का नाश हो ज्ञान का दीप जले माँ शारदे की कृपा हो जाए सफलता तब गले मिले। निकाल लाता ज्ञान के मोती उच्च हो जाती ज्ञान की ज्योति माँ शारदे की कृपा जो होती अब…

मन की अभिलाषा

मन की अभिलाषा वेदना का हो अंत फिर आए जीवन में बसंत मन की प्रसन्नता हो अनंत दुःख का पूर्णविराम हो मन में न कोहराम हो। आस का पंक्षी सहन पाए उड़ने को पूरा गगन पाए दुविधा में न क्षण…

नवोदय क्रांति परिवार प्रेरणा गीत

जन जन को जगाएंगे।नवोदय क्रांति लाएंगे।आओ शिक्षक, प्यारे शिक्षक,हम सब मिलकर शिक्षा में नई क्रांति लाएंगे।जन जन को जगाएंगे।नवोदय क्रांति लाएंगे। पालक,अभिभावक,जनप्रतिनिधि मिलकर शालाको रंगीन बनाएंगे।जन जन को जगाएंगे।नवोदय क्रांति लाएंगे। राष्ट्रिय शिक्षक संचेतना लाएंगे।कश्मीर से कन्याकुमारी तकशिक्षा का अलख…

जब विपदा आ जाए सम्मुख – उपमेंद्र सक्सेना

जब विपदा आ जाए सम्मुख जिसका साथ निभातीं परियाँ, मनचाहा सुख पाता हैजब विपदा आ जाए सम्मुख, कोई नहीं बचाता है। क्या है उचित और क्या अनुचित, बनी न इसकी परिभाषादुविधा में जो फँसा कभी भी, टूटी उसकी अभिलाषाजिसका मन…

नया अब साल है आया – उपमेंद्र सक्सेना

नया अब साल है आया नया अब साल है आया, रहे इंसानियत कायममुहब्बत के चिरागाँ इसलिए हमने जलाए हैं। सुकूने बेकराँ मिलती, अगर पुरशिस यहाँ पे होन हो वारफ़्तगी कोई, दिले मुज्तर कहीं क्यों होनवीदे सरबुलंदी से, जुड़ें सब ये…

पीर दिलों की मिटायें

पीर दिलों की मिटायें पीर दिलों की मिटायें, चलो एक ऐसा नया जहां बसायेंपीर दिलों की मिटायें, चलो एक ऐसा नया जहां बसायें lपलती हों जहां खुशियाँ, चलो एक ऐसा आशियाँ सजाएँ ll हर एक चहरे पर हो मुस्कान, ना…

रंग इन्द्रधनुष

रंग इन्द्रधनुष ….. धरती का हरापन सदा से बुलाते रहे मुझेमैं उसके आँचल में दूब बनकर पसर गया ,नीला विस्तृत आकाश हुर्र बुलाता रहा मुझेमैं उसमें घुसकर नीलकंठ हो गया ,मैं उनकी गली के गुलाबी रंग बीचप्रेम प्याला पीकर महक…

सादगी पर सायरी

सादगी पर सायरी सादगी की सुरत सुहानी बनावट की बातों का काम नहीं है। सादगी की खुबसूरत जवानी बेतहासा सजावट का काम नहीं है। सादगी की जरूरत जिसने जानी अधिक जरूरत का कोई काम नहीं है। सादगी की है सफल…