भूट्टे की भड़ास बाल कविता

बाल कविता भूट्टे की भड़ास एक भूट्टा का मूंछ पका था,दूसरे भूट्टे का बाल काला।डंडा पकड़ के दोनों खड़े थे,रखवाली करता था लाला।।शर्म के मारे दोनों ओढ़े थे,हरे रंग का…

नश्वर काया – दूजराम साहू अनन्य

कविता संग्रह नश्वर काया - दूजराम साहू "अनन्य " कर स्नान सज संवरकर ,पीहर को निकलते देखा । नूतन वसन किये धारण ,सुमन सना महकते देखा ।कुमकुम चंदन अबीर लगा…

रसीले आम पर कविता – सन्त राम सलाम

🥭रसीले आम पर कविता🥭 रसीले आम का खट्टा मीठा स्वाद,बिना खाए हुए भी मुंह ललचाता है।गरमी के मौसम में अनेकों फल,फिर भी आम मन को लुभाता है।। वृक्ष राज बरगद…

जिंदगी एक पतंग – आशीष कुमार

जिंदगी एक पतंग - आशीष कुमार उड़ती पतंग जैसी थी जिंदगीसबके जलन की शिकार हो गईजैसे ही बना मैं कटी पतंगमुझे लूटने के लिए मार हो गईसबकी इच्छा पूरी की…

मुख पर कविता – राजेश पांडेय वत्स

मुख पर कविता -मनहरण घनाक्षरी कविता संग्रह गैया बोली शुभ शुभ, सुबह से रात तक,कौआ बोली हितकारी,चपल जासूस के! हाथी मुख चिंघाड़े हैं, शुभ मानो गजानन,सियार के मुख कहे,बोली चापलूस…

चिड़िया पर बालगीत – साधना मिश्रा

चिड़िया पर बालगीत - चुनमुन और चिड़िया बाल कविता चुनमुन पूछे चिड़िया रानी, छुपकर कहाँ तुम रहती हो?मेरे अंगना आती न तुम, मुझसे क्यों शर्माती हो?नाराज हो मुझसे तुम क्यों?…
1 मई अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस 1 May International Labor Day

मजदूर की दशा पर हास्य व्यंग्य – मोहम्मद अलीम

अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस या मई दिन मनाने की शुरूआत 1 मई 1886 से मानी जाती है जब अमेरिका की मज़दूर यूनियनों नें काम का समय 8 घंटे से ज़्यादा न रखे जाने के लिए हड़ताल की थी। किसी भी समाज, देश, संस्था और उद्योग में मज़दूरों, कामगारों और मेहनतकशों की अहम भूमिका होती है।

मेरा साथी कौन- दीप्ता नीमा

मेरा साथी कौन- दीप्ता नीमा एक दिन मुझे भगवान् मिलेमैंने उनसे पूछा कि भगवन्आप मुझे बताएं कि मेरा साथी कौन? मैं राही मेरी मंजिल है कौन मैं पंछी मेरा घोसला…

धर्म की कृत्रिमता पर कविता-नरेंद्र कुमार कुलमित्र

धर्म की कृत्रिमता पर कविता कविता संग्रह कृत्रिम होती जा रही है हमारी प्रकृति-03.03.22----------------------------------------------------हिंदू और मुसलमान दोनों कोठंड में खिली गुनगुनी धूप अच्छी लगती हैचिलचिलाती धूप से उपजी लू के…

क्या यही है “आस्था – शशि मित्तल “अमर”

आस्था navdurga धूम मची है,जय माता की... मंदिरों, पंडालों में, लगी है भीड़ भक्तों की.. क्या यही है "आस्था "?मन सशंकित है मेरा, वृद्धाश्रम में दिखती माताएँ... जो जनती हैं…