छत्तीसगढ़ी गीत : हमर देश के हमर राज
हमर देश के हमर राज ,रखबो जेकर लाज गा।
दीदी भई जम्मो रे संगी, करथे जेकर बर नाज गा।
चिरई चिरकुन हामन जइसे,रिकिम-रिकिम के रंग बोली।
बागे बगीचा मा जइसे ,करत राथे हंसी ठिठोली ।
हमर मिलइ-जुलइ के देखे, झपटे सके ना बाज गा।
दीदी भई जम्मो रे….. गांव शहर एके बरोबर गली गली हर टिपटाप।
बढ़िया अकन के बने राहे ,देश राज दूनों के खापे खाप।
अटाये झन खेत म किसान के अनाज गा।
दीदी भई जम्मो रे .. .
हमर देश के रहैया मन पल्लै हावे होशियार ।
मानथे नीति नियम ला माँगथे अपन अधिकार ।
दिनोंदीन बगरत हावे शिक्षा के धाज गा।
दीदी भई जम्मो रे . . . . कतकी हावे देश विरोधी जगह-जगह मा खुतयाय।
मौका पाके घात लगाये अपन आदमी ला डरवाय।
लहू-लुहान होगे रे संगी , हमारे देश आज का।
दीदी भई जम्मो रे. . . .
हमर देस के हमर राज, रखबो जेकर लाज गा ।