ये मजहब क्यों है – एकता दिवश पर कविता

एकता दिवश पर कविता
31 अक्टूबर राष्ट्रीय एकता दिवस 31 October National Unity Day

ये मजहब क्यों है – एकता दिवश पर कविता

ये मजहब क्यों है?
ये सरहद क्यों है?
क्यों इसके खातिर,
लड़ते हैं इंसान ?
क्यों इसके खातिर,
जलते हैं मकान ?
क्यों इसके खातिर,
बनते हैं हैवान ?
क्यों इसके खातिर,
आता नहीं भगवान ?
क्या करेंगे ऐसे मजहब का,
जिसमें अपनों का चीत्कार है?
क्या करेंगे ऐसे सरहद का,
जिसमें खून की धार है?
क्यों न सबका एक मजहब हो?
क्यों न सबका एक सरहद हो?
ये अखिल धरा हो एक परिवार।
दया,प्रेम,सत्य,अहिंसा हो स्वीकार।
चलो समझें, मजहब का आधार।
चलो तोड़ दें,सरहद की दीवार।

(रचयिता:-मनी भाई

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