ये मजहब क्यों है – एकता दिवश पर कविता

एकता दिवश पर कविता
31 अक्टूबर राष्ट्रीय एकता दिवस 31 October National Unity Day

ये मजहब क्यों है – एकता दिवश पर कविता

ये मजहब क्यों है?
ये सरहद क्यों है?
क्यों इसके खातिर,
लड़ते हैं इंसान ?
क्यों इसके खातिर,
जलते हैं मकान ?
क्यों इसके खातिर,
बनते हैं हैवान ?
क्यों इसके खातिर,
आता नहीं भगवान ?
क्या करेंगे ऐसे मजहब का,
जिसमें अपनों का चीत्कार है?
क्या करेंगे ऐसे सरहद का,
जिसमें खून की धार है?
क्यों न सबका एक मजहब हो?
क्यों न सबका एक सरहद हो?
ये अखिल धरा हो एक परिवार।
दया,प्रेम,सत्य,अहिंसा हो स्वीकार।
चलो समझें, मजहब का आधार।
चलो तोड़ दें,सरहद की दीवार।

(रचयिता:-मनी भाई

मनीभाई नवरत्न

यह काव्य रचना छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के बसना ब्लाक क्षेत्र के मनीभाई नवरत्न द्वारा रचित है। अभी आप कई ब्लॉग पर लेखन कर रहे हैं। आप कविता बहार के संस्थापक और संचालक भी है । अभी आप कविता बहार पब्लिकेशन में संपादन और पृष्ठीय साजसज्जा का दायित्व भी निभा रहे हैं । हाइकु मञ्जूषा, हाइकु की सुगंध ,छत्तीसगढ़ सम्पूर्ण दर्शन , चारू चिन्मय चोका आदि पुस्तकों में रचना प्रकाशित हो चुकी हैं।

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