Category: दिन विशेष कविता

  • शिक्षक का कमाल / अकिल खान

    शिक्षक का कमाल / अकिल खान

    शिक्षक का कमाल

    शिक्षक का कमाल / अकिल खान



    मुर्ख को ज्ञानी बनाकर दिखाया है,जिसने,
    अशिक्षा रूपी दानव को मिटाया है,उसने।
    शिक्षा के दीपक से रौशन हुआ सर्व-समाज,
    उचित-अनुचित की समझ का हुआ आगाज।
    जो शिक्षा पे हो कुर्बान वही है,सच्चा लाल,
    ज़माना याद करता रहेगा,शिक्षक का कमाल।

    इंजीनियर,डॉक्टर,खिलाड़ी नेता और अभिनेता,
    संसार में नाम कमाया,लेकिन गुरु बना प्रणेता।
    असंभव को संभव कर,जिसने लिखा इतिहास,
    ऎसे शिक्षक को मित्र,रखिए हमेशा अपने पास।
    जरा याद कर लो चंद्रगुप्त-चाणक्य की कहानी,
    विवेकानंद-परमहंस की पूरी दुनिया है,दीवानी।
    अशिक्षा के लिए हो सर्वत्र ज्ञान का चौपाल,
    ज़माना याद करता रहेगा,शिक्षक का कमाल।

    डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी हैं,महान
    संसार में उंचा किए,शिक्षकों का नाम।
    धन से भी अनमोल है,शिक्षक का ज्ञान,
    उत्तम शिक्षक के ज्ञान में है,ये सारा जहाँ।
    5सितंबर को मनाईए सभी शिक्षक दिवस,
    शिक्षा से कोई न रहे वंचित,कोई भी विवश।
    कहता है ‘अकिल’गुरू का किजीए सम्मान,
    हो नित सर्वत्र मुख,प्रेम-अहिंसा का जुबान।
    सर्वधर्म सम्मान को बनाईए,समाज का ढाल,
    ज़माना याद करता रहेगा,शिक्षक का कमाल।

    शिक्षक है ज्ञान,शिक्षक है मान-सम्मान,
    शिक्षक है जिज्ञासा,शिक्षक है निर्माण।
    शिक्षक है भाव,शिक्षक है आत्म-चिंतन,
    शिक्षक है अलौकिक विचारों का मंथन।
    शिक्षक है नित-प्रयास,शिक्षक है सफलता,
    शिक्षक,शिष्यों का जीवन को है बदलता।
    शिक्षक है साहस,शिक्षक का हृदय है विशाल,
    ज़माना याद करता रहेगा,शिक्षक का कमाल।


    अकिल खान
    सदस्य,प्रचारक ‘कविता बहार’ जिला-रायगढ़ (छ.ग.).

  • आदिवासी गाथा ( विश्व आदिवासी दिवस पर एक कविता )

    आदिवासी गाथा ( विश्व आदिवासी दिवस पर एक कविता )

    यहां विश्व आदिवासी दिवस पर एक कविता प्रस्तुत है:

    आदिवासी गाथा

    जंगलों की गोद में बसा,
    एक अद्भुत संसार है।
    संस्कृति जिसकी अनोखी,
    वह आदिवासी परिवार है।

    धरती से गहरा नाता,
    और पेड़ों से प्यार है।
    पर्वतों की ऊंचाई में बसी ,
    उनका विशाल संसार है।

    त्योहारों की रंगीन छटा,
    और नृत्य की बात निराली।
    गीतों में छुपा है जीवन,
    कहानी उनकी कभी न खाली।

    संघर्षों का चढ़ा पहाड़,
    पर हिम्मत नहीं हारी।
    संभाला अपनी धरोहर को,
    है गौरवशाली संस्कृति प्यारी ।

    हक के लिए लड़ा है जो ,
    आवाज नहीं झुका है ।
    एकता की शक्ति से वो ,
    नया आसमां जा पहुंचा है ।

    संस्कृति का यह उत्सव मनाएं,
    आओ मिलकर हाथ बढ़ाएं।
    आदिवासी जन के साथ,
    हम सब एक नई राह बनाएं।

    मनीभाई नवरत्न


    यह कविता आदिवासी समुदाय की संस्कृति, संघर्ष और धरोहर को सम्मानित करने के लिए है।

    आदिवासी गाथा ( विश्व आदिवासी दिवस पर एक कविता )
  • लघु उद्योग की उन्नति  (राष्ट्रीय लघु उद्योग दिवस)

    लघु उद्योग की उन्नति (राष्ट्रीय लघु उद्योग दिवस)

    राष्ट्रीय लघु उद्योग दिवस छोटे और मध्यम उद्यमों (SMEs) के महत्व को मान्यता देने और उनके विकास को प्रोत्साहित करने के लिए मनाया जाता है। यह दिवस लघु उद्योगों की भूमिका को उजागर करता है, जो अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। इस अवसर पर एक कविता प्रस्तुत है जो लघु उद्योगों की महत्ता और उनके योगदान को दर्शाती है:

    लघु उद्योग की उन्नति (राष्ट्रीय लघु उद्योग दिवस)

    लघु उद्योग की उन्नति

    लघु उद्योगों की दुनिया, चमक रही है खास,
    छोटे कदम से भी बड़ा हो सकता हर प्रयास,
    समाज की धड़कन, अर्थव्यवस्था की जान,
    इनके योगदान से चमकता हर स्थान।

    रोजगार के अवसर, गांव और शहर में,
    लघु उद्योग फैलाते खुशियाँ हर घर में,
    किसान, श्रमिक, उद्यमी का है स्नेह,
    हर मेहनतकश का सपना होता है सच।

    छोटे-छोटे कारखाने, छोटे-छोटे व्यवसाय,
    लघु उद्योगों की मेहनत से चमकती हर सास,
    आत्मनिर्भरता की राह पर बढ़ते कदम,
    आर्थिक स्वतंत्रता की ओर है ये संकल्प।

    सृजनशीलता की मिसाल, नवाचार का संग,
    हर चुनौती को अपनाकर चलता हर अंग,
    सपनों को सच करने का है ये जज्बा,
    लघु उद्योगों का योगदान अनमोल है सदा।

    प्रेरणा और उत्साह का प्रतिक,
    हर उद्योगपति का मेहनत और विश्वास है अतिक,
    राष्ट्रीय लघु उद्योग दिवस पर संकल्प लें,
    हर व्यवसाय को सहयोग और सम्मान दें।

    मूल्य वर्धन और निर्यात का मार्ग,
    लघु उद्योगों से चमकता देश का गौरव,
    उनकी सफलता की यह हो परिकल्पना,
    हर क्षेत्र में हो उनका विस्तार और सम्मान।

    आओ मिलकर मनाएं हम यह पर्व,
    लघु उद्योगों की सफलता का जश्न हो सर्व,
    हर प्रयास की सराहना हो,
    विकास की दिशा में कदम बढ़ाएं हम सब।


    यह कविता लघु उद्योगों के महत्व और उनके विकास में भूमिका को उजागर करती है। यह हमें प्रेरित करती है कि हम छोटे और मध्यम उद्यमों की सराहना करें और उनके विकास के लिए योगदान दें, ताकि वे समाज और अर्थव्यवस्था में सकारात्मक प्रभाव डाल सकें।

  • शांति की पुकार (परमाणु परीक्षण के खिलाफ दिवस)

    शांति की पुकार (परमाणु परीक्षण के खिलाफ दिवस)

    परमाणु परीक्षण के खिलाफ दिवस एक महत्वपूर्ण अवसर है जो परमाणु हथियारों के परीक्षण और उनके खतरों के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है। इस अवसर पर एक कविता प्रस्तुत है जो शांति, सुरक्षा और परमाणु परीक्षण के खिलाफ संघर्ष को दर्शाती है:

    शांति की पुकार (परमाणु परीक्षण के खिलाफ दिवस)

    शांति की पुकार

    जब धरती पर घेरते हैं अंधकार,
    परमाणु परीक्षण का हो रहा प्रहार,
    हर बम की धड़कन, हर विस्फोट,
    शांति का स्वप्न, हर दिल को चोट।

    आओ मिलकर करें हम आह्वान,
    परमाणु युद्ध से दूर, शांति का ध्यान,
    हर इंसान का हक है जीने का,
    प्रकृति की गोद में सुख से रहने का।

    विस्फोटों की गूंज, नफरत की भाषा,
    हजारों मासूमों की छीन ली आशा,
    बचाओ धरती को इस विनाशकारी बम से,
    हर जीवन को सुरक्षित रखो इस धरा पर।

    अनेक राष्ट्र मिलकर संकल्प लें,
    परमाणु परीक्षण का अंत करें,
    शांति के मार्ग पर हम चलें,
    हर दिल में प्रेम और भाईचारा पलें।

    सभी देशों की सुरक्षा का वादा,
    नफरत की जगह हो शांति का लावा,
    कृषि, विज्ञान और मानवता के संग,
    न हो विध्वंस, हो जीवन का रंग।

    आओ उठाएं हम ये आवाज,
    परमाणु परीक्षण की समाप्ति का संकल्प लें,
    धरती पर शांति का दीप जलाएं,
    हर जीव की सुरक्षा का संकल्प सजाएं।

    समाज में हर हाथ मिलाएं,
    सभी को सुरक्षित और खुशहाल बनाएं,
    परमाणु परीक्षण के खिलाफ हम खड़े,
    शांति की ओर बढ़ाएं, प्रेम की राह पर बढ़े।


    यह कविता परमाणु परीक्षण के खिलाफ जागरूकता और शांति की आवश्यकता पर जोर देती है। यह हमें प्रेरित करती है कि हम मिलकर एक सुरक्षित और शांतिपूर्ण दुनिया की ओर बढ़ें, जहां मानवता और जीवन की रक्षा की जा सके।

  • स्वतंत्रता की पुकार (दास व्यापार उन्मूलन दिवस)

    स्वतंत्रता की पुकार (दास व्यापार उन्मूलन दिवस)

    दास व्यापार उन्मूलन दिवस का उद्देश्य दासता के खिलाफ संघर्ष और इसके उन्मूलन के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। यह दिवस हमें मानव अधिकारों और समानता के लिए किए गए प्रयासों की याद दिलाता है। इस अवसर पर एक कविता प्रस्तुत है:

    स्वतंत्रता की पुकार (दास व्यापार उन्मूलन दिवस)

    स्वतंत्रता की पुकार

    दासता की जंजीरों को तोड़ें,
    मानवता को करें आजाद,
    हर इंसान का हक है जीने का,
    नफरत की बेड़ियों से करें फरियाद।

    वो दिन थे जब बेचा गया इंसान,
    मूल्यहीन बना दिया उसका सम्मान,
    किसी की आज़ादी पर जब थी चोट,
    हर दिल में उठी थी आजादी की बात।

    श्रम से भीख न मांगे कोई,
    मजदूरी का हो उचित आकलन,
    दासता के अंधकार से बाहर आकर,
    हर जीवन को दें नई पहचान।

    अभी भी कहीं चल रही है ये लड़ाई,
    छिपकर, घातक रूप में दुनिया में समाई,
    मानव तस्करी और बाल श्रम के जाल से,
    हमें लड़ना है, इसे करना है नाकाम।

    हर बच्चा स्कूल में हो मुस्कुराता,
    हर श्रमिक का हक हो उसको मिलता,
    दासता का नाम मिटे सदियों के लिए,
    हर इंसान स्वतंत्रता का गीत गाता।

    दास व्यापार उन्मूलन दिवस पर आओ,
    संकल्प लें कि बदलें ये हालात,
    हर दिल में स्वतंत्रता की हो रोशनी,
    मानवता का बढ़ाएं हम मान।

    संवेदनाओं से भरी हो ये दुनिया,
    जहां हर व्यक्ति का हो सम्मान,
    स्वतंत्रता, समानता और न्याय के लिए,
    हर कदम पर करें हम संघर्ष का आगाज़।

    इस आजादी की राह पर बढ़ें हम,
    हर दासता की बेड़ी को काटें,
    आओ मिलकर गाएं हम स्वतंत्रता का गीत,
    मानवता की खुशबू से दुनिया को महकाएं।


    यह कविता दासता के उन्मूलन और स्वतंत्रता के महत्व पर प्रकाश डालती है, और हमें प्रेरित करती है कि हम हर प्रकार की बंधन और अन्याय के खिलाफ खड़े हों, ताकि हर व्यक्ति को उसका हक और सम्मान मिले।