Category: दिन विशेष कविता

  • कविता : छत्तीसगढ़ के धरना का इतिहास पर चौपाई / आशा आज़ाद

    कविता : छत्तीसगढ़ के धरना का इतिहास पर चौपाई / आशा आज़ाद

    कविता : छत्तीसगढ़ के धरना का इतिहास पर चौपाई / आशा आज़ाद 

    छत्तीसगढ़ कविता
    छत्तीसगढ़ कविता

    सन् 1995 से पृथक राज्य अखंड धरना आंदोलन प्रारंभ 

    आज सुनाऊँ सुनलो गाथा।सुनकर झुक जाता है माथा।

    राज्य पृथक जो आज कहाया।धरना आदोंलन से आया।।

    नौ अप्रैल की घटना जाने।सन उन्नीस पंचानवे माने।

    दशम दिसंबर हुआ समापन। हुए प्रफुल्लित मानब जन जन।।

    धरना के संस्थापक जानें।उदयभान सिह हैं पहचाने।

    गौड़ रूप चौहान कहाते।बनकर मुखिया धर्म निभाते।।

    सन पंचानवें दिवस आया ।शुभम पत्र संकल्प भराया।

    पंचम सौ जन मनुज वहाँ थे।एकत्रित सब लोग जहाँ थे।

    मूलचंद वाढ़रे कहाते।झंडा विशाल स्थल फहराते ।

    पंद्रह अप्रैल दिवस जानें।नरसिह मंडल साथी मानें।।

    बत्तीसहवें दिन का धरना।ठाना संकल्प पत्र भरना ।

    ज्ञापन सौंपा माँग दिखाया।आस राष्ट्रपति से शुभ पाया।।

    शास्त्री कहते चौक जहाँ पर।धरना उपवन दिया वहाँ पर।

    यज्ञ दिग्विजय श्रेष्ठ चलाया।निज विरोध आवाज उठाया ।

    फिर छ: अगस्त का दिन आया।दीपक तब छत्तीस जलाया।

    है द्वितीय तब सत्र कराया।गीत पांडवानी शुभ भाया ।।

    कीर्तीभूषण पांडे जानें।भारतीय मंत्री को मानें।

    मुख्य अतिथि रह जोर लगाया।राज्य पृथक हो माँग बताया।।

    जब दिन इक्कीस मार्च आया।घड़ी चौक में दल घबराया।

    धारा विरोध एक लगाया।फिर आंदोलन अति गरमाया।।

    नया मिशन सुंदर कहलाया।जय छत्तीसगढ़ शुभे आया।

    उदयभान मजदूर सुनेता।आंदोलन के श्रेष्ठ प्रणेता।।

    आर्य नंदकुमार कहाये।दत्त त्रिपाठी भी सह आये ।

    भट्टाचार्या आसीत वहाँ थे।धरना स्थल को चुनें जहाँ थे।।

    सत्याग्रह का ध्येय बनाया।एक दिवस परचम लहराया।

    नैय्यर रमेश जी भी आये।मंच तिरंगा को फहराये।।

    तीन शतम का धरना जानो।थे पंजाब सुनेता मानों।

    नाम सिंह सुरजीत कहाये।धरना की ओ शान बढ़ाये।

    जय शुभ छत्तीसगढ़ बनाये।संयोजक उदयभान आये।

    मुखिया दामोदर कहलाये।नव अखंड परचम लहराये।।

    साल शतम छब्बीसी जानें।चला मुक्ति मोर्चा नव मानें ।।

    लगा एक चौवालिस धारा।बनें शेख अंसार सहारा।।।

    मुखिया अडवाणी जी आये।साहस का परचम लहराये।

    कहे रायपुर हो रजधानी।हर जन की यह होवे बानी।।

    दिवस मार्च तेइस शुभ आया।सन संतावन सत्र कहाया।

    फौज एक आजाद बनाया। शिवसेना ने हाथ बढ़ाया।।

    जून 1999 का आंदोलन

    उदयभान संयोजक रहकर।चले सदा साहस के पथ पर।

    गाँव नगर में दौरा करना।पृथक राज्य जन साहस भरना।।

    धरना अखंड फिर गरमाया।ग्रामवासियों को सुध आया।।

    मधुसूदन मिश्रा जी आये।रामरतन जन जोश जगाये।।

    पंद्रह अगस्त ध्वज फहराया।आंदोलन को सख्त बनाया।।

    दिन था वो भी बीस जुलाई | विद्याचरण करे अगुवाई।।

    मीना यादव राधा बाई।ढोल संग में की अगुवाई।

    देवबती अरु जनक कुमारी।योगदान को आई नारी।।

    गूँज उठा बस एक ही नारा।राज्य पृथक बस होय हमारा।

    अब तो अपना राज्य बनाओ।वादे को अब पूर्ण निभाओ ||

    दो हजार के दिन को जानो।तीस मार्च तिथि थी वह मानो।

    ज्ञापन भेजा फैक्स सहारे।अटल बिहारी को जन सारे।।

    सत्याग्रह धरना था जारी।जेल भरो में स्थल था तारी।।

    हमें राज्य नव दो गरमाया।अटल बिहारी तक पहुँचाया।।

    बाइस फरवरी दिवस में जारी।बात उठा यह बारी बारी।

    सांसद पद कार्य रंगराजन।बात उठाया राज्य विभाजन।।

    तेरह विधायकों ने छेड़ा।राज्य पृथक पर हुआ बखेड़ा।

    शांति रूप से मत यह आया।पृथक राज्य पर बहुमत पाया।

    महानदी के देख किनारे।जय जय के नित गूँजे नारे।

    सत्रह अप्रैल हर्ष लाया। जन जन ने परचम लहराया ।।

    हुआ महासम्मेलन सुंदर।खुशियाँ हर जन जन के अंदर।

    चौदह सौ इक्यासी दिन का। था अखंड धरना वो जन का।।

    30 जनवरी 2000 का अखंड धरना

    तीस जनवरी का दिन आया।पुनः अटल को पत्र थमाया।

    लोकसभा इक्तीस जुलाई।पृथक राज्य पारित अति भाई।।

    ध्वनिमति से पारित लाया।पृथक राज्य ऐलान कराया।

    था पैंतीस वर्ष का धरना।समारोह फिर मिलकर करना।।

    वो चौबीस जून था जानें।विद्या जी भी सह थे मानें।

    भागीरथ जो शुभ कहलाये।उदयभान सिह काज सुहाये।।

    पावन तिथि चौबीस जुलाई। संसद घेरा बात उठाई ||

     वीसी शुक्ला प्रमुख सहारे।साथ लगाया बुलंद नारे।

    दिन था वो पच्चीस जुलाई।शाम चार खबरें शुभ आई।

    मुँहर विधेयक सम्मुख आया।जन जन ने फिर हर्ष मनाया।।

    वो अगस्त बिस का अभिनंदन।समारोह में आए जन जन।

    श्री हरिप्रेम बघेल आये।डाक्टर दुर्गा मान बढ़ाये।।

    वो अगस्त पच्चीस सुहाया।मंजूरी से मन हर्षाया।

    साठ दिनों में मत आएगा।राज्य पृथक अब कहलाएगा।

    घड़ी चौंक में वृहद नजारा।सहयोगी को वह दिन प्यारा।

    धरना अखंड साथ चलाया।पृथक राज्य पारित शुभ पाया।

    उदयभान सिह सह सहयोगी।पृथक राज्य ही मंजिल होगी।

    संयोजक के पद पर चलकर।धर्म निभाया हर पथ रहकर।।

    1 नवंबर 2000 को पृथक राज्य की घोषणा

    नौ अगस्त को अटल बिहारी।एक विधेयक करके जारी।

    पेश किया इक्तीस जुलाई। सभी जनों ने आस लगाई।

    दिवस ऐतिहासिक वो मानें। तप जन जन ने की थी जानें।

    एक नवंबर ध्वज लहराया।पृथक राज्य का बिगुल बजाया।

    महामहिम ने दी मंजूरी।आस हुई थी सबकी पूरी ||

    धरना अखंड सफल बनाया।हर जन को यह दिन था भाया।।

    क्रम था छब्बीसवां हमारा ।अटल बने शुभ उदय सहारा।

    अटल बिहारी कसम निभाये।अंठावन का वचन निभाये।।

    अटल बिहारी भाषण बोलें।संघर्षो को सुंदर तोलें।

    पाँच वर्ष का ध्येय निराला।तप अखंड जन गाने वाला।।

    हर जन जन ने खुशी मनाई।पृथक राज्य की महिमा गाई।

    ढोल नगाड़ा खूब बजाया।मंदिर में भी माथ नवाया।।

    पाँच वर्ष की अमिट कहानी।जन्मों तक यह रहे जुबानी।

    राज्य बना था कैसे अपना।तप अखंड से पूरा सपना।।

    आशा लिखती अखंड गाथा।सुनकर झुक जाता है माथा।

    याद श्रेष्ठ इतिहास  रहेगा।संघर्षों को मनुज पढ़ेगा।।

    संयोजक अरु सब सहयोगी।आम मनुज सह जन उद्योगी।

    गाँव गली के चक्कर काटे।घर घर अखंडता शुभ बाँटे।।

    दसम दिसंबर कार्य समापन।राज्यपाल को सौंपा ज्ञापन।

    सह अजीत जोगी का आना। मिलजुल सुंदर खुशी मनाना।

    महापौर थे तरुण चटर्जी।उन्हें बुलाया देकर अर्जी।

    सराहना कर मान बढ़ाया।शुभे समापन दिन हर्षाया।।

    मुरलीधर नेताम पधारे।पत्रकार भी आये सारे।

    श्री प्रमोद ताम्रकार आये।सुंदर लेखन उनका भाये।।

    आये प्रमोद जोगी स्थल पर।उदयभान का हाथ पकड़कर।

    भागीरथ यह जानें सच्चा।इसे पढ़ेगा बच्चा बच्चा।।

    बीबी पुत्री बच्चा खोया।सुनकर हर जन था नित रोया।

    पाँच वर्ष से डटे रहे थे।पीड़ा कितनी बार सहे थे।।

    शुभ निर्माण धरा जो सपना।पृथक राज्य यह नव है अपना।

    स्वर्ण रूप की अमिट कहानी।राज्य बना आदर्श निशानी।।

    स्वाभिमान का अलख जगाया। शुभ संस्थान नाम हर्षाया।।

    नव यह छत्तीसगढ़ हमारा।समता होगा एक अधारा।।

    पूर्णाहुति का दिवस सुहाया।जन जन का आभार जताया।

    जोगी बोलें जय महतारी।धान कटोरा तारनहारी।।

    चंपा देवी गौरी बाई।निरूपमा भी थी सह आई।

    प्रणिता पांडे सब जन नारी।भीड़ जुड़ी थी अतिशय भारी।।

    थे हजार से ऊँपर जन जन।पूर्णाहुति से खुश थे सब जन।

    श्रेष्ठ इतिहास यह था जानों।स्वर्णिम पल था सुंदर मानों।।

    मनुज यहाँ का छत्तीसगढ़िया।राज्य बना है सबसे बढ़िया।।

    नेता जन ने माथ झुकाया।संघर्षों से दिन यह आया।।

  • वृक्ष लगाएं धरती बचाये/नीलम त्यागी ‘नील’

    वृक्ष लगाएं धरती बचाये/नीलम त्यागी ‘नील’

    वृक्ष लगाएं धरती बचाये/नीलम त्यागी ‘नील’

    पर्यावरण दिवस पर कविता
    पर्यावरण दिवस पर कविता

    आओ मिलकर पेड़ लगाएं…
    इस धरा को वसुंधरा बनाये…
    एक वन हम ऐसा सजाये…
    जिससे सारे रोग कट जाएं…

    प्रदूषण को ऐसी मार लगाएं…
    आओ एक वृक्ष सभी लगाएं…
    एक एक करके सभी उपवन बनाये…
    मानव से ज्यादा हम वृक्ष लगाएं…

    इस धरा को हम सभी बचाये…
    जल और पेड़ का महत्त्व बताएं..
    जीवन अपना उपयोगी बनाएं..
    महानता वृक्षों की सभी को समझाये…

    समय रहते ही सजग हो जाएं…
    जीवन हम अपना ऐसा बनाये…
    पेड़ों से इस ज़मीं को सजाये…
    संदेश ये सारे जग में फैलाएं….

    नीलम त्यागी ‘नील’

  • एक आईएसबीएन नंबर प्राप्त करें

    एक आईएसबीएन नंबर प्राप्त करें

    यदि आप कोई किताब लिखने की योजना बना रहे हैं या पहले ही लिख चुके हैं, तो आपको उसके लिए आईएसबीएन की आवश्यकता होगी।

    दो परिदृश्य हैं-

    यदि आप चाहते हैं कि आपका प्रकाशन कविता बहार से करे, तो हम इसे उचित कीमत पर करवा सकते है, लेकिन यदि आप इसे स्वयं-प्रकाशित करने जा रहे हैं, तो आप नीचे दिए गए चरणों का पालन करना चाहेंगे:

    आईएसबीएन के लिए आवेदन करने से पहले, आपको फ़ॉन्ट शैली, टेक्स्ट का आकार, मार्जिन और सब कुछ अंतिम रूप देना होगा। पृष्ठों की संख्या का उल्लेख करना न भूलें; इसे सही ढंग से करें क्योंकि बाद में वे आपको पृष्ठों की संख्या में बदलाव करने की अनुमति नहीं देंगे!

    अपनी पुस्तक को वैसे ही मुद्रित करवाएं जैसे आप चाहते हैं क्योंकि आवेदन भेजते समय आपको आगे और पीछे के कवर की आवश्यकता होगी।


    आप इसे जिस अधिकतम खुदरा मूल्य पर बेचना चाहते हैं, उसे अंतिम रूप दें। किसी पुस्तक की सामान्य लागत मुद्रण, बाइंडिंग, भंडारण, विपणन, प्रकाशक का कमीशन इत्यादि होती है, इसलिए कुछ लाभ कमाना न भूलें!


    आवेदन को कवर पेज की एक प्रति, आईडी प्रूफ की फोटोकॉपी और वापसी संचार के लिए एक स्व-पता लिफाफे के साथ संलग्न करें।


    अपना ड्राफ्ट आवेदन उपरोक्त दस्तावेजों के साथ संलग्न करके दिए गए पते पर भेजें-

    आईएसबीएन के लिए,

    राजा राममोहन राय राष्ट्रीय एजेंसी
    वेस्ट ब्लॉक-I, विंग-6, दूसरी मंजिल,
    सेक्टर-I, आर.के. पुरम,
    नई दिल्ली-110066
    फ़ोन: +91-11-26172903/26172916

    बस इतना ही! और आप जाने के लिए तैयार हैं!

  • हिन्दुस्तान की कहानी पर कविता

    हिन्दुस्तान की कहानी पर कविता

    बहुत ही प्यारा “सोन चिड़िया” था मेरा नाम,
    धर्मनिरपेक्षता,अतिथि देवो भवःथा मेरा काम।
    संपूर्ण संसार में था एक अलग ही पहचान,
    हिन्द की संस्कृति का सभी करते थे बखान।
    भारत की महिमा सभी ने थी,पहचानी,
    लेखक की जुबानी,हिन्दुस्तान की कहानी।

    लालच और द्वेश ने देश का सर्वनाश किया,
    विदेशियों ने आकर इस धरा पर राज किया।
    रंगभेद-छुआछूत को संपूर्ण भारत में फैलाए,
    हमारे अधिकारों को दबाकर राजा वो कहलाए।
    बहुत निंदनीय थी,उस पल की जिन्दगानी,
    लेखक की जुबानी,हिन्दुस्तान की कहानी।

    अंग्रेजों के अत्याचारों से,देश हुआ बर्बाद,
    स्वाधीनता के लिए करते थे,नित फरियाद।
    जब फैला सर्वत्र देश में क्रान्ति का तूफान,
    लक्ष्मीबाई,मंगलपांडे जैसे वीर हो गए कुर्बान।
    भगतसिंह ने युवाओं में एसा जोश भर दिया,
    देकर कुर्बानी,आजादी को यादगार कर दिया।
    महात्मा गांधी जी,का पुरा विश्व थी दिवानी,
    लेखक की जुबानी,हिन्दुस्तान की कहानी।

    सुभाषचंद्र बोस,चंद्रशेखर जैसे वीर थे महान,
    नेहरू,सरदार पटेल जैसे नेता थे हिन्द की शान।
    लाला लाजपतराय जी का अलग ही था अंदाज,
    गोपाल कृष्ण गोखले,जैसे साहसी थे जाबांज।
    आजादी की किमत सभी ने थी,पहचानी,
    लेखक की जुबानी,हिन्दुस्तान की कहानी।

    जनरल डायर ने लिया था,असहायों की जान,
    बड़ा ही भयानक था,जलियांवाला हत्याकांड।
    क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों के थे,छक्के छुड़ाए,
    भारतीयों ने गोरे तानाशाहीयों के होश उड़ाए।
    देशभक्त वीरों के गाथा सभी को है बतानी।
    लेखक की जुबानी,हिन्दुस्तान की कहानी।

    15अगस्त1947 को भारत हुआ आजाद,
    नारे से गुंज उठा हिन्दुस्तान-जिन्दाबाद।
    वीर क्रांतिकारियों का सपना हो गया पुरा,
    फिरंगियों के चलते जो रह गया था अधूरा।
    आजादी मनाई थी,गंगा-जमूना की पानी,
    लेखक की जुबानी,हिन्दुस्तान की कहानी।

    स्वतंत्रता दिवस को सभी फहराएं तिरंगा,
    भूल से भी ना करो,कहीं सांप्रदायिक दंगा।
    आजादी की जज्बा को अपने हृदय में भरलो, हिन्दूस्तान के शहीदों को जरा याद भी करलो।
    हिन्दू-मुस्लिम,जैन-बौद्ध,सिक्ख-इसाई,
    न करो लड़ाई,आपस में हैं सभी भाई-भाई।
    कहता है’अकिल’हम सभी है हिन्दुस्तानी,
    लेखक की जुबानी,हिन्दुस्तान की कहानी।

    अकिल खान.
    सदस्य, प्रचारक “कविता – बहार” जिला-रायगढ़ (छ.ग.).

  • शाकाहार भोजन के महत्वपूर्ण तथ्य

    शाकाहार भोजन के महत्वपूर्ण तथ्य

    शाकाहार भोजन सिर्फ पौधों से प्राप्त यानी प्राकृतिक रूप से मिलने वाले खाद्य उत्पाद होते हैं।

    शाकाहारी आहार में खाने वाले खाद्य पदार्थ

    शाकाहारी भोजन में पौधों से मिलने वाले सभी खाद्य पदार्थ जैसे साबुत अनाज, नट्स, फलियां, फल और सब्जियां शामिल होती हैं।

    शाकाहारी आहार में न खाने वाले खाद्य पदार्थ

    शाकाहारी भोजन का सेवन करने वाले लोग जानवरों से प्राप्त भोजन नहीं खाते हैं। शाकाहारी भोजन का पालन करने वाले लोग जानवरों का मांस, जानवरों के उप-उत्पाद या किसी भी पशु सामग्री वाले भोजन को खाने से बचते हैं, जिनमें निम्नलिखित चीज़ शामिल हो सकते हैं:

    Vegetable Vegan Fruit
    • मांस और मुर्गी पालन
    • मछली और समुद्री भोजन
    • दूध से बने उत्पाद
    • अंडे
    • शहद वाले उत्पाद
    • पशु-आधारित सामग्री

    शाकाहारी लोग ऐसे किसी भी उत्पाद से बचने की कोशिश करते हैं, जो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जानवरों से बना हो जैसे रेशम, ऊन और चमड़ा। शाकाहारी भोजन, कपड़े और अन्य उद्देश्यों के लिए जानवरों के प्रति क्रूरता को रोकने का एक तरीका है। 

    शाकाहारी भोजन : महंगा या सस्ता

    शाकाहारी भोजन ज़्यादा महंगा नहीं होता, जिससे स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद मिलती है। खासतौर से भारत जैसे देश में सब्जियां सबसे ज़्यादा हैं, जो सबसे सस्ती सामग्री हैं। अगर आप मांसाहारी हैं, तो सभी मांसाहार को छोड़ना आपके लिए काफी मुश्किल हो सकता है।

    शाकाहारी भोजन में पोषण

    अगर शाकाहारी लोग अलग-अलग तरह के खाद्य पदार्थ नहीं खा रहे हैं, तो उनमें कुछ सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी विकसित हो सकती है। कुछ पोषक तत्वों को डेयरी उत्पादों और अंडों से से बदलने की ज़रूरत होती है, जैसे-

    कैल्शियम- दूध कैल्शियम का मुख्य स्रोत है, लेकिन शाकाहारी लोगों के लिए इसे सोया दूध, फोर्टिफाइड संतरे का रस, ब्रोकली, केल और बादाम से बदला जा सकता है।

    ओमेगा -3 फैटी एसिड- अलसी, वनस्पति तेल शाकाहारी लोगों के लिए ओमेगा -3 का एक अच्छा स्रोत है।

    विटामिन बी12- यह पोषक तत्व पौधों से प्राप्त करना मुश्किल है। ऐसे में भोजन से नहीं मिलने वाले पोषक तत्वों की भरपाई के लिए शाकाहारी लोगों को पूरक (सप्लीमेंट) लेने की ज़रूरत होती है।

    एक शाकाहारी व्यक्ति को शरीर के सभी कार्य के लिए पर्याप्त प्रोटीन, कैल्शियम, ओमेगा -3 फैटी एसिड, जिंक और विटामिन बी 12 मिलना चाहिए। यह सभी आपके शरीर में सभी रासायनिक प्रतिक्रियाओं को शक्ति प्रदान करने के लिए ज़रूरी है।