फिर कहते हो ये खराब थी
मोबाइल दिया, आया बनाया,
खाना खिलाया होटल में;
इंटरनेट पर पहली पीढ़ी सवार थी,
फिर कहते हो पीढ़ी खराब थी।
बाहें चढ़ाई, दुपहिया दौड़ाया,
दुर्घटना घटी बीच बाजार में;
पी रखी शराब थी
फिर कहते हो सड़क खराब थी।
बातें बनाई, दिन बिताया,
बेरोजगार हुआ इंतजार में;
नशे चिटे की आदत थी,
फिर कहते हो किस्मत खराब थी।
दल बनाया , उम्मीदवार जिताया,
विकाश करवाया वंशवाद में;
बंधी हुई समाज थी,
फिर कहते हो पार्टी ख़राब थी।
बच्चे पढ़ाए, घर बनाया,
मनोरंजन किया संसार में;
जीवन की मूकबधिर जवाब थी,
फिर कहते हो जिंदगी ख़राब थी।
रोशन जांगिड़
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