प्रेरणा दायक कविता –
उठो सोने वालो सबेरा हुआ है
उठो सोनेवालो, सबेरा हुआ है,
वतन के फकीरों का फेरा हुआ है।
जगो तो निराशा निशा खो रही है,
सुनहरी सुपूरब दिशा हो रही है,
चलो मोह की कालिमा धो रही है,
न अब कौम कोई पड़ी सो रही है।
तुम्हें किसलिए मोह घेरे हुआ है?
उठो सोनेवालो, सबेरा हुआ है।
जवानो उठो कौम की जान जागो,
पड़े किसलिए, देश की शान जागो,
तुम्हीं दीन की आस-अरमान जागो,
शहीदों की सच्ची सुसन्तान जागो।
चलो दूर आलस अँधेरा हुआ है,
उठो सोनेवालो, सबेरा हुआ है।
उठो देवियो, वक्त खोने न देना,
कहीं फूट के बीज बोने न देना,
जगें जो उन्हें फिर से सोने न देना,
कभी देश का अपमान होने न देना।
मुसीबत से अब तो निबेरा हुआ है,
उठो सोनेवालो, सबेरा हुआ है।
नई कौमियत मुल्क में उग रही है,
युगों बाद फिर हिन्द माँ जग रही है,
खुमारी लिए जान को भग रही है,
दिलों में निराली लगन लग रही है।
शहीदों का फिर आज फेरा हुआ है,
उठो सोनेवालो, सबेरा हुआ है।