मनोरम छंद विधान मापनी - २१२२ २१२२चार चरण का छंद हैदो दो चरण सम तुकांत होचरणांत में ,२२,या २११ होचरणारंभ गुरु से अनिवार्य है३,१०वीं मात्रा लघु अनिवार्यमापनी - २१२२, २१२२…
महँगाई पर दोहे महँगाई की मार से , हर जन है बेहाल।निर्धनभूखा सो रहा,मिले न रोटी दाल।।1।। महँगाई डसती सदा,निर्धन को दिनरात।पैसा जिसके पास है,होती उसकी बात।।2।। महँगाई में हो…
संवेदना पर कविता कथित संवेदनाओं के ठेकेदारों कोसंवेदनाओं पर चर्चा करते देखा। संवेदनाओं के ही नाम पर संवेदनाओं काकतल सरेआम होते देखा।। साथियों के ही कष्टों की दुआ माँगतेसज्जनों को…
बसंत पंचमी पर कविता मदमस्त चमन अलमस्त पवन मिल रहे हैं देखो, पाकर सूनापन। उड़ता है सौरभ, बिखरता पराग। रंग बिरंगा सजे मनहर ये बाग। लोभी ये मधुकर फूलों पे…
शब्दो पर दोहे १सागर मंथन जब हुआ, चौदह निकले रत्न।*अन्वेषण* नित कर रहे, सतत समस्त प्रयत्न।।२*सम्प्रेषण* होता रहे, भव भाषा भू ज्ञान।विश्व राष्ट्र परिकल्पना, हो साकार सुजान।।३अपनी रही विशेषता, सब…
मुस्कान पर कविता मुझे बाजार मेंएक आदमी मिलाजिसके चेहरे परन था कोई गिलाजो लगतारमुस्करा रहा थाबङा ही खुशनजर आ रहा थामैंने उससे पूछा किकमाल है आजजिसको भी देखोमुंह लटकाए फिरता…
कमजोरो पर कविता कमजोर पर सभी हिमत दिखाते हैंलोग पत्थर से क्यों नही टकराते हैएक पीछे एक चलते हैंक्यों नही कुछ अलग कर दिखाते हैकुछ बढ़िया कर जाते हैंमहान बनने…