यह कैसा लोकतंत्र – कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार “अंजुम”
इस कविता में मानव के अनैतिक व्यवहार का वर्णन मिलता है जिसने उसे मानव से दानव की श्रेणी में ला खड़ा किया है |
यह कैसा लोकतंत्र – कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार “अंजुम”
इस कविता में मानव के अनैतिक व्यवहार का वर्णन मिलता है जिसने उसे मानव से दानव की श्रेणी में ला खड़ा किया है |
यह कैसा लोकतंत्र – कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार “अंजुम”
इस रचना में वर्तमान सामाजिक परिवेश में मानव की स्थिति को दर्शाया गया है वह स्वयं को असहाय सा महसूस कर रहा है |
किस राह – कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”
इस कविता में मैंने मातृभूमि की वंदना करने की कोशिश की है साथ ही महान व्यक्तित्व जिन्होंने देश की कीर्ति पताका फह्रराने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है उन्हें भी इस कविता में स्थान दिया है |
मातृभूमि को नमन- कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”
इस कविता में मैंने दुनिया में जी रहे प्रत्येक प्राणी के दुखों की ओर ध्यान आकर्षित करने का प्रयास किया है |
नानक दुखिया सब संसार- कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”
इस कविता में मैंने जीवन को परिपूर्ण करने के लिए किन प्रयासों को जीवन का उद्देश्य बनाया जा सकता है इस बात पर जोर दिया है ताकि जीवन सफल हो सके |
इस धरती पर आये हैं , तो कुछ करके जाना है – कविता – मौलिक रचना – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”