ईश्वर की दी धरोहर हम जला रहे हैं/मनोज कुमार

पर्यावरण को नुकसान पर कविता

ईश्वर की दी धरोहर हम जला रहे हैं/मनोज कुमार ईश्वर की दी हुई धरोहर हम जला रहे हैंलगा के आग पर्यावरण दूषित कर रहे हैंकाटे जा रहे हैं पेड़ जंगलों के,सुखा के इन्सान खुश हो रहा हैआते – जाते मौसम बिगाड़ रहा है हरी- भरी भूमि में निरंतर रसायन मिला रहा हैअपने ही उपजाऊ भूमि … Read more

विश्व प्रदूषित हो रहा /प्रेमचन्द साव “प्रेम”,बसना

JALATI DHARATI

विश्व प्रदूषित हो रहा / प्रेमचन्द साव “प्रेम”,बसना विश्व प्रदूषित हो रहा,फैल रहा है रोग।मानव सारे व्यस्त है,करने निज सुख भोग।। प्राणवायु दूषित हुआ,दूषित हर जल बूँद।मानव को चिंता कहाँ ?,बैठा अँखियन मूँद।। ताल तलैया कूप को,मनुज रहे अब पाट।निज स्वारथ के फेर में,वृक्ष रहे हैं काट।। धूल-धुआँ कूड़ा बढ़ा,बढ़ा मनुज का लोभ।फिर जीवन संघर्ष … Read more

शिवरात्रि पर कविता /डॉ0 रामबली मिश्र

shiv God

शिवरात्रि पर कविता /डॉ0 रामबली मिश्र अद्वितीय शिव भोले काशी।अदा निराली प्रिय अविनाशी।।रहते सबके अंतर्मन में।बैठे खुश हो नित सज्जन में।। जगह जगह वे घूमा करते।तीन लोक को चूमा करते।।भस्म लगाये वे चलते हैं।शुभ वाचन करते बढ़ते हैं।। परम दिव्य तत्व रघुवर सा।कोई नहीं जगत में ऐसा।।रामेश्वर शंकर का धामा।विश्व प्रसिद्ध स्वयं निज नामा।। बहुत … Read more

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर रचना/सुशी सक्सेना

woman-day

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर रचना/सुशी सक्सेना नारी की गौरव गाथा/सुशी सक्सेना प्रसिद्ध बड़ी है जग में, नारी की गौरव गाथा है। हर रूप में प्यार हमें देती है, ये हमारी माता है। अपनी भारत माता पर, मुझे है अभिमान बहुत शहीदों ने दिए हैं, इसकी रक्षा में बलिदान बहुत माता के पावन चरणों में शीश … Read more

जलती धरती/पूनम त्रिपाठी

जलती धरती/डॉ0 रामबली मिश्र

जलती धरती/पूनम त्रिपाठी धरती करे पुकार मानव सेमुझे न छेड़ो तुम इंसानबढ़ता जाता ताप हमाराक्यों काटते पेड़ हमारापेड़ काट रहा तू इंसानजलती धरती सूखे नलकूपसूरज भी आग बरसाएबादल भी न पानी लायेमत उजाड़ो मेरा संसारधरती का बस यही पुकारमै रूठी तो जग रूठेंगामेरे सब्र का बांध टूटेगाभूकंप बाढ़ क़ो सहना पड़ेगासुंदर बाग बगीचे मेरेहे मानव … Read more