शानदार पार्टी
चल रही थी खूब,
अमीर दिलदार लोगों की पार्टी ,
जहां शामिल होने के लिए ,
किसी अनुमति की आवश्यकता नहीं ,
और ना ही आवश्यकता है,
निश्चित राशि की।
बस एक मुस्कान के साथ कह दो ,
मुझे भी शामिल करोगे यार।
मां ने बस दस रुपए दिए हैं ,
एक साथ आवाज आई ,
“आ जाओ!”
पैसे की भी जरूरत नहीं ,
पूरी तैयारी है ,
देखो कुरकुरे चिप्स बिस्किट,
पानी के छोटे-छोटे पाउच ,
जरूरत के सारे सामान
जो किसी शानदार पार्टी में रहती है।
उससे भी कहीं अधिक,
यहां था प्यार,
जहां कोई ऊंच- नीच,न भेदभाव।
उनकी पार्टी देख
मेरा दिल
गदगद हो उठा,
तैर गई ,
होठों पर एक मुस्कुराहट।
शामिल होने की इच्छा भी थी,
शानदार पार्टी में ।
शायद पर मै उन ,
बच्चों सी अमीर नही,
मै उसमें शामिल होने के योग्य न थी।
जागृति मिश्रा रानी
कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद