Category: हिंदी कविता

  • गौरैया पर कविता

    गौरैया पर कविता

    तू आई मेरे आँगन में
    अपने नन्हें बच्चे को लेकर
    फूदक फूदक खिला रही थी
    अपना चोंच, चोंच में देकर
    सजग सब खतरों से
    ताकती घुम घुम कर
    नजाकत से चुगती दाना
    आहट पा उड़ जाती फुर्र
    दानों को खत्म होता देख
    मिट्ठी भर अनाज बिखराई
    डरकर क्यों तू चली गई
    जब मैंने सहृदयता दिखलाई
    प्यारी गौरैया तू सीखाती है
    बच्चे को दुनिया की रीत
    संभलकर जीना इस जग में
    जाँच परखकर करना प्रीत.


    ✍ सुकमोती चौहान रुचि
      बिछिया,महासमुन्द,छ.ग

  • अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर दोहे

    अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर दोहे

    नारी से है सुख  मिला, नारी से सम्मान।
    बिन नारी घर घर नही, लगता है सुनसान ।।1

    नारी को सम्मान दो, नारी मात समान ।
    नारी से घर स्वर्ग है, सब पर देती जान ।।2

    बिन घरनी के घर नहीं, बिना पुरुष परिवार ।
    स्त्री पुरुष का साथ रहे, जीवन देत सवार ।।3

    सुख दुःख की है संगिनी, देती प्यार दुलार ।
    नारी घर की मान है, सुखी रहे परिवार ।।4

    महिला विश्व दिवस मना, सभी होत खुशहाल ।
    देते सभी बधाइयां, नारी होत निहाल ।।5

    डॉ. अर्चना दुबे ‘रीत’

  • मोबाइल महाराज

    मोबाइल महाराज

    जय हो तुम्हारी हे मोबाइल महाराज
    तकनीकि युग के तुम ही हो सरताज
    बिन भोजन  दिन कट जाता है
    पर तुम बिन क्षण पल नहीं न आज।
    हे मोबाइल तुम बिन सुबह न होवे
    तुम संग आॅनलाइन रह सकें पूरी रात
    गुडमार्निंग से लेकर गुडनाइट का सफर
    मैसेज में ही होती अच्छी बुरी हर बात।
    हर पल आरजू मोबाइल महाराज की
    मिलता नहीं बेकरार दिल को चैन
    ललक रहती जाने कौन संदेशा आयो
    मोबाइल से हसीन मेरे दिन रैन।
    कक्षा में हूँ जाती पढ़ाने बिन मोबाइल जग सून
    दिल सोचता काश मेरे पास भी जेब होता
    घर्र घर्र  काँप कर अपना एहसास दिलाता
    अवसर पाते ही मेरे सामने नया संदेशा होता।
    छुट्टी होते ही मोबाइल की पहली तमन्ना
    हाथ में विराजते हैं मोबाइल महाराज
    बस फिर तो रम जाते हम तन मन से
    भूल जाते  हम सारे जरूरी काम काज।
    गाड़ी चलाते समय बगल में हमारे
    सुशोभित रहते मोबाइल महाराज
    लाल बत्ती का भी सदुपयोग करते
    व्हाटसअप खोलने से नहीं आते बाज।
    घर आकर खाना सोना देता नहीं आराम
    मोबाइल को नहीं देते पल भर भी विश्राम
    नींद सताए तो तकिए में मोबाइल रहता साथ
    मोबाइल ही साथी अपना मोबाइल अपना धाम।
    कुसुम लता पुंडोरा
    आर के पुरम
    नई दिल्ली
    कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद

  • नारी पर सुन्दर कविता

    नारी पर सुन्दर कविता

    आँखों   से  आंसू   बहते  हैं
    पानी   पानी  है  नारी।
    दुनियां की नज़रों में बस इक
    करूण कहानी है नारी।।
    युगों  -युगों  से  जाने  कितने
    कितने अत्याचार सहे।
    अबला से  सबला तक आयी
    हार न  मानी  है  नारी।।
    ब्रह्मा   विष्णु   गोद   खिलाए
    नाच नचाया नटवर को।
    अनुसुइया   है   कौसल्या   है
    राधा   रानी   है   नारी।।
    एक  नही दो  नही  महज़ इस
    के  किरदार  अनेकों  हैं।
    कभी   लक्षमी   कभी  शारदे
    कभी  भवानी  है   नारी।
    महफ़िल  में  रौनक  है इससे
    गुलशन  में  बहार  है ये।।
    सारी   दुनियां   महा   समंदर
    और   रवानी   है  नारी।।
    ——-✍
    जयपाल प्रखर करुण
    रवानी–धारा, गति, प्रवाह
  • पीड़ाएँ

    पीड़ाएँ

    पीड़ाएँ

    पीड़ाएँ

    पिंजरा  चला  छोड़  कर , पंछी अनंत दूर ।
    यादें  ही  अब  शेष  हैं , परिजन  हैं  बेनूर ।।


    आँसू से रिश्ता घना ,  आँखों  ने ली जोड़ ।
    निर्मोही क्यों हो गये , ले गये सुख निचोड़ ।।
    गहनें सिसक रहे सजन , रूठे  सब श्रृंगार ।
    माथे की  ये  बिंदिया , पोंछ गये दिलदार ।।


    मन की बातें चुप हुई , तन की सुधि बिसराय ।
    अब  तो केवल  स्वप्न में ,साजन  आवे जाय ।।
    भूली  बिसरी  याद  को , रखी  तिजोरी  ढ़ाँक ।
    अब तो फक़त निहारते , सपने अनगिन फाँक ।।


    चलके तुम कर्तव्य पथ  , वतन शहीद कहाय ।
    मुश्किल जीवन सतह पर , कैसे ठहरा जाय ।।
    विधवा  शहीद  की बनी , गर्व करे  यह  देश ।
    धवल वस्त्र जो मिला , शुचिता  का गणवेश ।।
                   ~   रामनाथ साहू ” ननकी “
                        मुरलीडीह  (  छ. ग. )