भोजन खाओ शाकाहार/ दिव्यांजली वर्मा
आज शनि है कल इतवार,
भोजन खाओ शाकाहार।
दाल रोटी सब्जी आचार,
मम्मी दो मुझे सम्पूर्ण आहार।।
गाजर मूली मैं खाऊंगा,
ताकतवर बन जाऊंगा।
बंद करो अब अत्याचार,
भोजन खाओ शाकाहार।।
हरी सब्जी में आयरन खूब,
पीली दाल प्रोटीन का भंडार।।
चावल से कार्बोहाइड्रेट मिले,
गेहूं है ऊर्जा का भंडार।।
आज शनि है कल इतवार,
भोजन खाओ शाकाहार।
कभी नही कमजोरी होगी,
न तुम होगे कभी बीमार।।
कभी कभी करो फलाहार,
खाओ सेब, अंगूर, अनार।।
डॉक्टर को कर दो बाय बाय,
अनार शरीर में खून बढ़ाए।।
दिव्यांजली वर्मा
अयोध्या उत्तर प्रदेश
Category: हिंदी कविता
भोजन खाओ शाकाहार/ दिव्यांजली वर्मा
शाकाहार/प्रकाश कुमार यादव
शाकाहार/प्रकाश कुमार यादव
कल मैं गया था बाजार,
वहां देखा सब्जियों का विस्तार।
रंग बिरंगे सब्जियां देखकर,
मुझे सब्जियों से हो गया प्यार।
बैंगन आलू प्याज लौकी,
अनेक सब्जियों का हुआ दीदार।
लाल लाल टमाटर ने तो,
बढ़ा दिया मेरे चेहरे का निखार।
देखा मैंने बाजार में,
सब्जियों के भी होते है परिवार।
प्रकृति ने हमें तरह तरह के,
दिया है सब्जी के रूप में आहार।
फिर भी पता नहीं क्यों,
लोग जीवों पर करते हैं अत्याचार।
क्यों करते हैं जीव जंतुओं से,
हम मानव आखिर दुर्व्यवहार।
जीव जंतुओं को खाते हैं,
बिगाड़ लिए है अपने हम संस्कार।
जबकि जीव जंतु भी,
इस सृष्टि के है हम जैसे ही आधार।
उपलब्ध है जबकि यहां,
अनेक सब्जियां अनेक शाकाहार।
फिर भी इंसान है दुष्ट,
और अजीब से अलग है ये संसार।
जीव जंतुओं को खाने से,
कौन सा हो जाता है स्वप्न साकार।
जबकि सभी को पता है,
शाकाहार ही है सर्वोत्तम आहार।
प्रकाश कुमार यादवशाकाहारी पर दोहे / डिजेन्द्र कुर्रे
शाकाहारी पर दोहे / डिजेन्द्र कुर्रे
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श्रेष्ठ मनन चिंतन रहें, विनयशील व्यवहार।
जिसने अपने जन्म में, चुन ली शाकाहार।।
शाकाहारी को मिले, चिंतन में अध्यात्म।
भोज तामसिक से मिले, मानवता को घात।।
हरि-हरि भाजी शाक में, भरा ब्रम्ह का तत्व।
जीव वधन में है नहीं, मानवता सुख सत्व।।
गोभी पालक मेथियाँ, और टमाटर लाल।
जिसने खाया स्वास्थ से, वे है मालामाल।।
सात्विकता के रंग में, रंग गए जो लोग।
उन्हें नहीं करना पड़े,दुख पीड़ा का भोग।।
धरती की उपकार का, प्रतिफल शाकाहार।
पोषण दे मानव तन को, करता है विस्तार।।
जग में शाकाहार है, ब्रम्ह तत्व के केन्द्र।
शाकाहारी सब बने, करता विनय डिजेन्द्र।।
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डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”श्रेष्ठ शाकाहार है/ डॉ ओमकार साहू
श्रेष्ठ शाकाहार है
घास की रोटी चबाना, प्रेम का संचार है।…
यह महाराणा प्रदर्शित, श्रेष्ठ शाकाहार है।।…जैन आगम की तरह है, ज्ञान घासीदास के।
भोज शाकाहार दाता, सुख दया विश्वास के।।
बुद्ध कहते जंतुओं से, प्रेम का विस्तार है।…
यह महाराणा प्रदर्शित, श्रेष्ठ शाकाहार है।।…जीव की हत्या हमारी, भूल है अधिकार का।
श्रृंखला आहार तोड़े, है पतन व्यवहार का।।
*अन्न अंकुर भोज्य में हो, थाल का श्रृंगार है।… *
यह महाराणा प्रदर्शित, श्रेष्ठ शाकाहार है।।…सुन कबीरा वाणियों को, जो जगत संदेश दे।
शुद्धता वातावरण में, शांति का परिवेश दे।।
जानवर सा माँस भक्षण, क्रोध का आधार है।
यह महाराणा प्रदर्शित, श्रेष्ठ शाकाहार है।।…मानवी धर्मावलंबी, यह प्रथम कर्तव्य है।
प्राणियों की हो सुरक्षा, धारणाएँ श्रव्य हैं।।
पेड़ पर निर्भर हमारा, श्वासमय संसार है।…
यह महाराणा प्रदर्शित, श्रेष्ठ शाकाहार है।।…वाक्य गाँधी ने कहे वह, कल्पनाएँ राम का।
आज भी सद्भावना है लक्ष्य मथुरा ग्राम का।।
साग हो आहार सबका, जीव भी परिवार है।…
यह महाराणा प्रदर्शित, श्रेष्ठ शाकाहार है।।…★डॉ ओमकार साहू मृदुल,20.12.2023★