Category: हिंदी कविता

  • शाकाहारी जीवन/ विनोद कुमार चौहान जोगी

    शाकाहारी जीवन/ विनोद कुमार चौहान जोगी

    छन्न-पकैया छन्न-पकैया

    छन्न-पकैया छन्न-पकैया, सुन लो बात हमारी।
    अच्छी सेहत चाहो जो तुम, बनना शाकाहारी।।

    छन्न-पकैया छन्न-पकैया, जो हो शाकाहारी।
    रक्तचाप में संयम रहता, होती नहीं बिमारी।।

    छन्न-पकैया छन्न-पकैया, सादा भोजन करना।
    लंबा जीवन मिलता जोगी, पड़े न पीड़ा सहना।।

    छन्न-पकैया छन्न-पकैया, बनो न माँसाहारी।
    मोटापा बढ़ता है उससे, बढ़ती है लाचारी।।

    छन्न-पकैया छन्न-पकैया, मुख मण्डल है निखरे।
    माँसाहार करें जब हम तो, लाखों जीवन बिखरे।।

    छन्न-पकैया छन्न-पकैया, हृदय खिन्नता घटती।
    शाकाहारी लोगों की तो, सुनो उम्र भी बढ़ती।।

    छन्न-पकैया छन्न-पकैया, विनती करता जोगी।
    सादा जीवन की चाहत में, पाओ गात निरोगी।।

    विनोद कुमार चौहान “जोगी”

  • अपनाओ सब शाकाहार/ डाॅ इन्द्राणी साहू

    अपनाओ सब शाकाहार/ डाॅ इन्द्राणी साहू

    अपनाओ सब शाकाहार

    हृष्ट-पुष्ट तन रखे निरोगी, दे यह सात्विक शुद्ध विचार।
    सर्वोत्तम आहार यही है, अपनाओ सब शाकाहार।।

    मार निरर्थक मूक जीव को, देना उन्हें नहीं संत्रास।
    ऐसे निर्मम पाप कर्म का, व्यर्थ बनो मत तुम तो ग्रास।
    दास बनो मत तुम जिह्वा के, करो तामसिक भोजन त्याग।
    कंद-मूल फल फूल-सब्जियाँ, रखो अन्न से ही अनुराग।
    शाकाहारी खाद्य वस्तु से, भरा सृष्टि का यह भण्डार।
    सर्वोत्तम आहार यही है, अपनाओ सब शाकाहार।।

    मानव दाँत-आँत की रचना, शाकाहारी के अनुकूल।
    मांसाहारी भोज्य ग्रहण कर, फिर क्यों करते हो तुम भूल।
    मांसाहारी खाद्य वस्तुएँ, हैं गरिष्ठ रोगों का मूल।
    पाचन क्रिया प्रभावित कर ये, चुभे उदर में बनकर शूल।
    सात्विक भोजन शुद्ध आचरण, रखे बुद्धि को मुक्त विकार।
    सर्वोत्तम आहार यही है, अपनाओ सब शाकाहार।।

    कार्बोहाइड्रेट विटामिन, स्रोत वसा रेशा प्रोटीन।
    दाल-सब्जियाँ अन्न- कंद फल, सात्विक भोज्य यही प्राचीन।
    मित्र उदर की हरी सब्जियाँ, रखतीं तन को सदा निरोग।
    सत्त्वगुणों की वर्धक बनकर, बनतीं सुख का शुभ संयोग।
    यह संकल्प उठाओ “साँची”, शाकाहारी हो संसार।
    सर्वोत्तम आहार यही है, अपनाओ सब शाकाहार।।

    डॉ0 इन्द्राणी साहू “साँची”
    भाटापारा (छत्तीसगढ़)

  • ऐसा भी कल आयेगा/ अनिता तिवारी

    ऐसा भी कल आयेगा/ अनिता तिवारी

    ऐसा भी कल आयेगा/ अनिता तिवारी

    सोच नहीं सकता था कोई,
    ऐसा भी दिन आयेगा।
    जीव काटकर भी यह मानव,
    मार पालथी खायेगा।

    प्रकृति ने उपलब्ध कराई,
    सब्जी सुंदर, ताजे फल।
    कंदमूल और अन्न साथ में,
    पीने का था निर्मल जल।

    किन्तु सीमा लाँघी इसने,
    ताक रखा कानून भी सारा।
    मांस भक्षण के खातिर ही,
    अबोध जीवों को इसने मारा।

    आज आह उन पशुओं की,
    अकाल मृत्यु बन आई है।
    कोरोना महामारी लाकर,
    जिसने यहाँ बढ़ाई है।

    संवेदन को खोकर तुमने,
    विपदा स्वयं बुलाई है।
    अभी संभल जा हे मानव,
    जीवन से क्या रुसवाई है।

    समय बीत जाने पर मानव,
    हाथ नहीं कुछ आयेगा।
    करनी का फल भोगेगा,
    बेमौत ही मारा जायेगा।

    अनिता तिवारी “देविका”
    बैकुण्ठपुर (छत्तीसगढ़)

  • शाकाहारी जीवन / विजय मिश्र दानिश

    शाकाहारी जीवन / विजय मिश्र दानिश

    गीत
    मात्र भार 16/11, सरसी छंद पर आधारित
    शाकाहारी सर्वोतम उपहार

    शाकाहारी जीवन जिसका,रहते सदा निरोग।
    मांसाहारी शान समझते,करे दुखो का भोग।।
    1
    कुदरत ने सब कुछ बख्शा है,पर दुखिया इन्सान।
    पीजा बर्गर अच्छा लगता,रोग बना पहचान।
    हरि सब्ज़ीयां खाओगे तो, होओगे बलवान।
    नॉनवेज खाकर के बन्दे, हो जाते बेजान।
    इसी लिए मैं कहता जग से, नित्य करो सब योग।।
    शाकाहारी जीवन जिसका,रहते सदा निरोग।।
    2
    गाजर, भिन्डी, बैगन, पालक, सबके पालनहार,
    बकरा, भैसा, मछली, मुर्गा, रोगों का है द्वार।
    भला तामसी इन्सानों का, कैसे हो उद्धार।
    नफ़रत इनके दिल में पलती, कौन करेगा प्यार।
    बहुत कठिन है जीवन उनका, मुश्किल लगता जोग।।
    शाकाहारी जीवन जिसका,रहते सदा निरोग।।
    3
    झूठी सच्ची शान दिखाते, बेचे अपना दीन।
    इन राहों पर जो भी चलता, खोता वही यक़ीन।
    भारत वालो तुम तो समझो, छोड़ो लंदन चीन।
    पश्चिम वाले भी अब देखो,बजा रहे हैँ बीन।
    विश्व गुरू है भारत सबका,ज्ञान बाँटते लोग।।
    शाकाहारी जीवन जिसका,रहते सदा निरोग।।

    विजय मिश्र दानिश
    जयपुर, राजस्थान
    स्टेज, रेडियो, टीवी, फ़िल्म कलाकार, अभिनेता, निर्देशक, लेखक, कवि, शायर

  • शाकाहारी जीवन / देवेंद्र चरण खरे आलोक

    शाकाहारी जीवन / देवेंद्र चरण खरे आलोक

    Vegetable Vegan Fruit

    शाकाहारी जीवन करें व्यतीत

    जन्म हुआ मानव का लेकर ,सौम्य प्रकृति आधार।
    तृण- तृण इसके रग- रग में है,रचता रहता सार।
    अंग सभी प्रत्यंग सजे हैं,सात्विक शक्ति शरीर,
    मन का मनका प्रस्तुत करता ,मन ही मन आभार।

    है विकास के पथ पर चलता,रज कण लिए शरीर।
    मज्जा रक्त अस्थियां पोषण,पाने हेतु अधीर।
    हारमोन है घ्रेलिन नामक, बढे़ भूख आहार,
    सम्यक नींद पचाए भोजन,पानी और समीर।

    उगें प्राकृतिक अन्न सब्जियां,धरती से भरपूर।
    डाली- डाली लदी आम ,अमरूद और अंगूर।
    युक्त फाइबर और विटामिन,कार्बोहाईड्रेट ,
    हैं समृद्ध पोषक तत्वों से,उर्जा रहे न दूर।

    धरती हरित नील अंबर से, प्रकृति सुहानी भव्य।
    है उत्पन्न शरीर इसीसे ,यही सजाते हव्य।
    क्षुधा शक्ति भोजन पानी रस,स्वाभाविक हो पान,
    पाचन करती सरल सुलभ तन, सृजित कराती द्रव्य।

    फोलिक एसिड मैगनीशियम ,प्रकृति करे उपकार।
    सभी फाइटो युक्त केमिकल, मिलते शाकाहार।
    कोलोस्ट्राल ह्रदय उद्वेलन,रक्तचाप संपीर,
    संवेदन रोगों के खतरे ,मानव करता पार।

    दूध दही मक्खन फल मेवे,प्रोटीनों के साथ।
    दालें कद्दू बीज और तिल,फलियां छोले क्वाथ।
    औषधि जडी़ बूटियां होतीं, पाचन के अनुरूप,
    स्वस्थ चित्त हों शाकाहारी,भारत के हर हाथ।

    सभी सशक्त और नीरोगी ,होते रहे अतीत।
    प्रकृति विहारी सभी मनस्वी ,ग्रन्थकार सुपुनीत।
    बलशाली कुश्ती वाले हैं ,विश्व विजेता पुष्ट,
    स्वस्थ समुन्नत शाकाहारी ,जीवन करें व्यतीत ।

    देवेंद्र चरण खरे आलोक