Category: हिंदी कविता

  • क्रिकेट बस क्रिकेट है जीवन नहीं

    क्रिकेट बस क्रिकेट है जीवन नहीं

    क्रिकेट जीवन नहीं हो सकता
    क्रिकेट भारतियों की
    रूह में समाया है
    उसने कब्जाया है
    हमारी भावनाओं को
    क्रिकेट बन गया है धर्म
    जो नहीं होना चाहिए।

    हम पूजते हैं क्रिकेट
    और उसके खिलाडियों को
    लुटा देते हैं अपना सबकुछ
    बना देते हैं उनको भगवान
    ऑस्टेलिया ,इंग्लैंड ,न्यूजीलैंड
    क्यों है क्रिकेट में सबसे ऊपर
    क्योंकि इनके लिए क्रिकेट
    बस एक खेल है
    धर्म नहीं
    ना ही ये अपने खिलाडियों को
    भगवान मानते हैं
    ये नहीं सोचते कि
    हम खेल में हारेंगे या जीतेंगे
    ये नहीं सोचते कि क्रिकेट मैच हारने
    पर दुनिया खत्म हो जाएगी।
    इनके देश में विश्वकप में हार में
    नहीं मनाया जाता है राष्ट्रीय शोक
    न ही जीत में ये पागल होते हैं।
    इनके देश में न ही कोई
    क्रिकेट का भगवान है
    न कोई मास्टर ब्लास्टर
    न कोई किंग है।
    इस लिए ये जीतते हैं
    बार बार विश्व कप
    ट्राफी को रखते हैं
    अपने पैरों के नीचे।

    एथलेटिक्स ,हॉकी ,
    भाला फेंक ,मुक्केबाजी
    सब में हम हारते हैं
    लेकिन मन सिर्फ
    क्रिकेट की हार से दुखता है
    भारत अगर तुम्हें जीतना है
    क्रिकेट में विश्वकप
    तो क्रिकेट को क्रिकेट की तरह खेलो
    मत जोड़ो उसे अपनी आत्मा से
    न ही किसी खिलाडी को दो
    भगवान का दर्जा
    क्रिकेट बस क्रिकेट है
    जीवन नहीं।

    सुशील शर्मा

  • तुलसी जयंती पर कविता

    तुलसी जयंती पर कविता: सावन माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को तुलसीदास जयंती मनाई जाती है। इस वर्ष तुलसीदास जयंती 23 अगस्त यानि आज है। तुलसीदास जी ने हिंदू महाकाव्य रामचरितमानस, हनुमान चालीसा सहित ग्रंथ ग्रंथों की रचनाएं और अपना पुरा जीवन श्रीराम की भक्ति और साधना में उपदेश दिया

    तुलसी जयंती पर कविता

    पूज्य गोस्वामी तुम्हारी लेखनी को

    o आचार्य मायाराम ‘पतंग’

    पूज्य गोस्वामी तुम्हारी लेखनी को शत नमन ।

    रक्त देकर धर्म संस्कृति का खिलाया है चमन ॥

    थी अजब गहरी उदासी वृक्ष तक सूखे जहाँ ।

    शेष पत्ती तक नहीं थी, फूल फल और रस कहाँ ?

    सींचकर मानस सलिल से कर दिए कुसुमित सुमन ।

    पूज्य गोस्वामी तुम्हारी लेखनी को शत नमन ।।

    धर्म पर छाई मलिनता हर कदम पाखंड थे

    बोलियाँ सबकी अलग थी शाख पर खगवृंद थे।

    कर दिया सब का समन्वय संप्रदायों का मिलन ।

    पूज्य गोस्वामी तुम्हारी लेखनी को शत नमन ।।

    थीं सिसकती आस्थाएँ जब कला दम तोड़ती।

    तब लिखी श्रीराम गाथा सुखद कड़ियाँ जोड़ती ।

    हर समस्या का दिया हल, हर दिशा चमकी किरण ।

    पूज्य गोस्वामी तुम्हारी लेखनी को शत नमन |

    देव भाषा की जगह जन भाव जन भाषा चुनी ।

    सोरठों चौपाइयों दोहों सुछंदों में बुनी ।

    लोक मर्यादा सँवारी गा अलौकिक आचरण ।

    पूज्य गोस्वामी तुम्हारी लेखनी को शत नमन ॥

    शत युगों तक भी नहीं तुलसी भुलाए जाएँगे।

    रामजी जब तक रहेंगे याद तुलसी आएँगे ।

    भक्त का भगवान् से ऐसा अमर अनुपम मिलन।

    पूज्य गोस्वामी तुम्हारो लेखनी को शत नमन ॥

  • पितृ पक्ष पर कविता 2021 -राजेश पान्डेय वत्स (मनहरण घनाक्षरी)

    हम यहाँ पर आपको पितृ पक्ष पर कविता प्रस्तुत कर रहे हैं आशा है आपको यह पसंद आएगी .

    कविता 1.

    झिलमिल उजियारी,समीप शरद ऋतु, 
    मणि जैसे ओस पड़े, 
    बिछे हुये घास में!

    तेज चले चुस्त लोग, कुछ दिखे लगा योग, 
    अम्बर की ओर ताके, 
    सूरज की आस में!

    धीमे धीमे वृताकार, लाल रंग लिये हुये, 
    खिली कली खुश मन, 
    फूलों के सुवास में!

    दिनकर देख नैन, शुभ भोर गई रैन, 
    वत्स गा ले राम गान, 
    पितृ पक्ष मास में!

    –राजेश पान्डेय वत्स!

    कविता 2. 

    आया जब पितृपक्ष, बनाते हलवा पूरी |
    बड़ा फरा के भोग, बिजौरी भूरी -भूरी ||
    उत्सव का माहौल, दशम दिन तक रहता है |
    पितर पक्ष का भोग, रोज कागा चखता है ||
    घर पर दादी भूख से, देखो अकुलाती रही |
    मृतकों को दे भोज सब, दादी मुरझाती रही ||


    जीते जी दुत्कार, मृत्य पर रोते धोते |
    दिये न रोटी दाल, मृत्यु पर भोज चढ़ाते ||
    चलता रहा कुरीत, आँख मूँदे अपनाते |
    करते कितने ढ़ोग, हाय फिर भी इठलाते ||
    क्यों आडम्बर में बहे, तेरी फितरत यह नहीं |
    भोजन भूखे को खिला, पितर तृप्त होंगे वहीं ||


    भूलो मत यह बात , आत्म से मानव जागो |
    लगे बुरी जो रीत, उसे तत्क्षण ही त्यागो ||
    तोड़ दीजिए रीत , करो साहस हे मनुजों |
    भूखे को दो भोज, कसम ले लो हे अनुजों ||
    कहो करोगे काम यह, छोड़ों काले काग को |
    फेंक कुसंस्कृत रीत को, अपना पाक विभाग को ||

    सुकमोती चौहान रुचि
    बिछिया, महासमुंद, छ. ग.

  • दीपमाला -कवि सचिन चतुर्वेदी ‘अनुराग्यम्’

    दीपमाला

    जहाँ जन्म हुआ श्री राम का,
    वेशभूषा वो ही भारत की।
    राम शिला रखी आज जाएगी,
    शान यही भारत की॥


    आओ सुनाता हूँ तुम को,
    राम नाम की कहानी।
    वन वन काटों से पूरी भरी,
    राहें बीती थी पुरानी॥


    सूने सूने थे घर घर,
    हर ओर अँधेरा कैसा छाया।
    राम नाम खुशियाँ,
    चौदह बरसों तक मुरझाया॥


    दीपमाला से सजी,
    हर घर हुए सुगंध्दित।
    राम आय वनवास से,
    दीप हुए प्रज्वलित॥

    © कवि सचिन चतुर्वेदी ‘अनुराग्यम्’

  • विश्वकप क्रिकेट पर कविता

    विश्वकप क्रिकेट खेल का आयोजन अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) द्वारा हर चार साल में किया जाता है, जिसमें प्रारंभिक योग्यता के दौर में फ़ाइनल टूर्नामेंट तक होता है। यह टूर्नामेंट दुनिया के सबसे ज्यादा देखे जाने वाले खेल आयोजनों में से एक है और इसे आईसीसी द्वारा “अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट कैलेंडर का प्रमुख कार्यक्रम” माना जाता है।

    विश्वकप क्रिकेट पर कविता

    विश्वकप क्रिकेट पर कविता

    भारतीय क्रिकेट टीम को विश्व कप 2023 जीत के आह्वान के साथ सभी भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों को समर्पित…..

    विश्वकप जीत के दिखला दो

    जीत के दिखला दो….,
    अब के जीत के दिखला दो…..।
    जीत के दिखला दो…..,
    विश्वकप जीत के दिखला दो…..।

    टीम रोहित के महादिग्गजों,
    क्रिकेट महासपूतों तुम ।
    बेट-बॉल का दिखा दो जलवा ,
    विश्वखेल में श्रेष्ठतम तुम ।
    भारत आयोजित विश्वकप को,
    बाहर को अब, मत जाने दो ….।
    जीत के दिखला दो….।
    अब के जीत के दिखला दो ….।

    लोहा अपना समस्त विश्व में,
    भारत का तुम मनवाओ ।
    दुनिया ने जो ,कभी ना देखा ,
    क्रिकेट ऐसा दिखलाओ ।
    विश्व ऊपर अपना ये तिरंगा ,
    क्रिकेट में भी लहरा दो …।
    जीत के दिखला दो ….

    द्रविड़ की ये ड्रीम इलेवन ,
    विश्वकप सरताज बने …।
    हार्दिक, विराहु (विराट,राहुल),
    शुभ-बुमराह(शुभमन) से ,
    अक्षर ,शमी भी यही कहे ।
    किशन-रवि(रविंद्र,किशन)
    ईशान-ठाकुर तुम ,
    सिराज-सूर्य को उजला दो …।
    जीत के दिखला दो …..

    क्वार्टर ,सेमी से बढ़कर तुमको ,
    फाइनल जीत के लाना है ।
    लक्ष्य भले कितना भी असंभव ,
    तुमको वह तो पाना है ।
    लक्ष्य को करके ‘ अजस्र ‘ विजित तुम,
    विश्वकप अब जितला दो …।
    जीत के दिखला दो….,
    अब के जीत के दिखला दो…..।
    जीत के दिखला दो…..,
    विश्वकप जीत के दिखला दो…..।

    विश्वकप क्रिकेट पर कविता
    विश्वकप क्रिकेट पर कविता
      ✍️✍️ *डी कुमार--अजस्र(दुर्गेश मेघवाल ,बून्दी(राज.)*

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