खुद को है -मनीभाई ‘नवरत्न’

यहाँ पर मनीभाई नवरत्न द्वारा रचित खुद को है आप पढ़ेंगे आशा आपको यह पसंद आएगी खुद पर कविता -मनीभाई 'नवरत्न' खुद को है जिन्दगी के हरेक  दंगल में …लड़ना…

मशाल की मंजिल – मनीभाई नवरत्न

मशाल की मंजिल - मनीभाई नवरत्न मशाल की मंजिल :-रचनाकार:- मनीभाई नवरत्नरचनाकाल :- 16 नवम्बर 2020 https://youtu.be/gpIWtm04CPE ज्ञानसतत विकासशीललगनशील,है जिद्दी वैज्ञानिक Iवह पीढ़ी दर पीढ़ीबढ़ा रहा अपना आकार Iवह कल्पना…

फिर किसी मोड़ पर वो मिल जाएँ कहीं – अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”

इस ग़ज़ल में किसी से मिलने की आरज़ू को बयाँ किया गया है | फिर किसी मोड़ पर वो मिल जाएँ कहीं - ग़ज़ल - मौलिक रचना - अनिल कुमार गुप्ता "अंजुम"

वर्षा-विरहातप

वर्षा-विरहातप (१६ मात्रिक मुक्तक )कहाँ छिपी तुम,वर्षा जाकर।चली कहाँ हो दर्श दिखाकर।तन तपता है सतत वियोगी,देखें क्रोधित हुआ दिवाकर।मेह विरह में सब दुखियारे,पपिहा चातक मोर पियारे।श्वेद अश्रु झरते नर तन…

पिता पर दोहे

पिता पर दोहे पिता क्षत्र संतान के, हैं अनाथ पितुहीन।बिखरे घर संसार वह,दुख झेले हो दीन।। कवच पिता होते सदा,रक्षित हों संतान।होती हैं पर बेटियाँ, सदा जनक की आन।। पिता…

तिरंगा (चौपाई छंद)

तिरंगा (चौपाई छंद) छंद आजादी का पर्व मनालो।खूब तिरंगा ध्वज पहरालो।।संगत रक्षा बंधन आया।भ्रात बहिन जन मन हर्षाया।।१ राखी बाँधो देश हितैषी।संविधान संसद सम्पोषी।।राखी बाँध तिरंगा रक्षण।राष्ट्र भावना बने विलक्षण।।२…

शबरी के बेर(चौपाई छंद)

शबरी के बेर(चौपाई छंद) छंद त्रेता युग की कहूँ कहानी।बात पुरानी नहीं अजानी।।शबरी थी इक भील कुमारी।शुद्ध हृदय मति शील अचारी।।१ बड़ी भई तब पितु की सोचा।ब्याह बरात रीति अति…