स्वतंत्रता दिवस अमर रहे!
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सतत् किया संघर्ष, गुलामी से छुटकारा पाने को,
भारतीय जनता ने ठाना , जुल्मों सितम
मिटाने को!
वयोवृद्ध, बालक, बालिका और युवा सब
थे एकत्र,
ठान लिया था, अंग्रेज़ों का, छिन्न भिन्न हो
जाए छत्र!
स्वाधीनता की लौ जल रही, हर एक हृदय
समाने को,
आजादी के लिए, सभी थे, तत्पर मर मिट
जाने को!
अंग्रेजों ने छल पूर्वक, इस देश को हथियाया था,
सीधी सादी जनता को, उसने तो बहुत
सताया था।
खेती बाड़ी, खुद का धंधा करने की मनाही थी,
निर्धनता में जिएं सभी, ऐसे गोरों ने चाही थी!
पर, गांधी, नेहरू, सुभाष, जैसे लोगों ने
काम किया,
भगत सिंह, आज़ाद, राजगुरु सुखदेव को
साथ लिया,
आंदोलन, सत्याग्रह करके विवश किया
था गोरों को,
भारत छोड़ो! कहकर सबने भगा दिया सब चोरों को,!
पर बंटवारा हुआ देश का, यह दुःख का
था विषय कठिन,
पर जो होना था, उसका, क्या कर सकते
हैै अब के दिन?
जागो भारत वासी! हमको मिलजुलकर
अब रहना है,
एक सूत्र में बंधे हुए हम, संग संग सुख दुःख सहना है,,!
पद्म मुख पंडा ग्राम महा पल्ली
जिला रायगढ़ छ ग