हकीकत तब पता चलता है
हकीकत तब पता चलता है
कौन अपना है ,कौन पराया है ,
ये तो वक़्त बताता है ।
हकीकत तब पता चलता है जीवन में,
जब बुरा वक़्त आता है ।।01।।
न कोई दोस्त है यहां,
ना कोई यार है ।
यह दुनियाँ भी यारों ,
मतलब का संसार है ।।02।।
बुरे वक़्त में हालात तो क्या ?
परछाई भी साथ छोड़ देता है ।
डुबते को तिनके की सहारा तो क्या ?
पानी की बहाव भी ,
अपनी ओर खींच लेता है ।।03।।
किसे यहाँ अपना कहें ,
ये हालात हमें सिखाता है ।
हकीकत तब पता चलता है जीवन में ,
जब बुरा वक़्त आता है ।।04।।
आदर्श दिखाते हैं लोग ,
और कहते हैं, हम हैं सच्चे ।
देख लिए संस्कारी ,
वह भी अच्छे अच्छे ।।05।।
संस्कार तो क्या व्यवहार भी ,
समय के साथ बदल जाता है ।
हकीकत तब पता चलता है जीवन में,
जब बुरा वक़्त आता है ।।06
जो जैसा है ,
वैसा दिखता नहीं ।
जो जैसा दिखता है ,
वैसा है ही नहीं ।।07।।
मैं तो क्या पूरी दुनियाँ ही ,
यहीं धोखा खाता है ।
हकीकत तब पता चलता है ,
जब बुरा वक़्त आता है ।।08।।
✒️गंगाधर गांगुली “सुलेख “
“समाज सुधारक ,युवा कवि “
कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद