इधर-उधर की मिट्टी
ऐ! हवा
ये मिट्टी जो तुम
साथ लाई हो
ये यहाँ की
प्रतीत नहीं होती
तुम चाहती हो मिलाना
उधर की मिट्टी
इधर की मिट्टी में
और इधर की मिट्टी
उधर की मिट्टी में
तभी तो लाती हो
ले जाती हो
सीमा पार मिट्टी
लेकिन कुछ ताकतें हैं
इधर भी
उधर भी
जो नहीं चाहती
इधर-उधर की मिट्टी
आपस में मिले।
-विनोद सिल्ला©
771/14, गीता कॉलोनी
डांगरा रोड़, टोहाना
जिला फतेहाबाद, हरियाणा
पिन कोड 125120
संपर्क 9728398500
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कविता बहार से जुड़ने के लिये धन्यवाद
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