कोरोना को नहीं बुलाओ
पटाखों का मोह छोड़कर दीवाली में दीप जलाओ।
प्रदूषण फिर से फैलाकर कोरोना को नहीं बुलाओ।।
हरसाल दिवाली आयेगी हम सबको यह हर्षायेगी।
खुशियों पर पैबंद लगाकर कोरोना को नहीं बुलाओ।।
बच्चे, बुजुर्ग और जवान हमारे घर की सभी है शान।
डर स्वास्थ्य का फैलाकर कोरोना को नहीं बुलाओ।।
मानव जाति पर बन आई अब तो ख्याल रखना भाई।
फिर से जाल यह फैला कर कोरोना को नहीं बुलाओ।।
बढ़ा महामारी का साया मुश्किल से अब काबू पाया ।
अंतिम साँसे फिर अटकाकर कोरोना को नहीं बुलाओ।।
रखना सबसे दो गज दूरी , मास्क भी पहनना जरूरी।
नियम को अब धता बतलाकर ,कोरोना को नहीं बुलाओ।।
प्रकृति का ये अंतिम फरमान,सांसत में रही सबकी जान।
फिर से तुम डर फैलाकर , कोरोना को नहीं बुलाओ।।
मधुसिंघी
नागपुर(महाराष्ट्र)