कोशिश क्यों नही करता अपना घर बसाने को
ऐ पाक़!तू क्यों तना है अपना घर जलाने को।
कोशिश क्यों नही करता अपना घर बसाने को।।
तुम्हारे तमाम ज़ुल्मों को सीनें से लगाते रहे।
पर गुस्सा क्यों दिलाता है हथियार उठाने को।।
पंछी की तरह तो तुझे हम आज़ाद कर दिये थे।
फिर क्यों चाहता है तू अपना पर कटाने को।।
तुझे पता ही नही कि तू किस मिट्टी से पैदा हुआ।
और ललकार रहा है यूँ बेमौत मर जाने को।।
अपने गिरेबाँ में झाँककर जरा देख भी लो।
फिर सीना तानकर आना हमसे नज़र मिलाने को।।
कश्मीर की कलियों से इश्क़ लड़ाना छोड़ दो ज़नाब।
नही तो तैयार हो जाओ अपना सर कटानें को।।
तू ख़ुद अपनी काली करतूतों से इतना ग़मगीन है।
कि दिलजले भी नही चाहते तेरा दिल जलाने को।।
ख़ुद बर्बाद हजारों की ज़िन्दगी भी बर्बाद कर दी।
अब क्या खाक़ करेगा किसी की ज़िन्दगी बनानें को।।
पाक़ राहों से गुजरनें तुझे हम राह भी दिखाते रहे।
“सरल” राहों में भटका क्यों अपनी मंज़िल पाने को।।
।।रचनाकार।।
उमेश श्रीवास”सरल”
पता–मु.पो.+थाना-अमलीपदर
विकासखण्ड-मैनपुर
जिला-गरियाबंद (छत्तीसगढ़)