कुछ पल तुम्हारे साथ

कुछ पल तुम्हारे साथ

कुछ पल तुम्हारे साथ,
बीते लम्हें मेरे साथ,
उन यादों को सुन्दर रूपहले,
आंचल में समेट कर,
चारों तरफ से उसे ओढ़ लेती हूं,
और महफूस-महसूस, करती हूं।
कितनी बातें तुम्हारे साथ,
कितनी यादें तुम्हारे साथ,
उन यादों में लड़ना झगड़ना,
और खुद से ही शरमा जाना।

कितनी मीठी बातें तुम्हारी,
कितनी यादें प्यार भरी ,
गुनगुनी धूप सी अलसाई सी,
वहां से हटना ही नहीं चाहती,
आंगन से कमरों तक,
कमरों से गलियारों तक,
पता नहीं कितनी यादें,

मेरे हाथों को मजबूती से ,
पकड़ रखा है।हर मौसम में ,
तुमने साथ दिया,
मैंने भी सामना किया है,
तुमने कहां मैं सिर्फ़ तुम्हारा हूं,
तुम्हारा ही रहूंगा,
बस उस दिन से सारे वो ,
लम्हे मेरे पास सुरक्षित हैं।
कुछ पल….

श्रीमती पूनम दुबे अम्बिकापुर छत्तीसगढ़

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