माधुरी मंजरी में सपना पर आधारित कविता – माधुरी डड़सेना मुदिता

सपना पर आधारित कविता

आँखों में सपने लिए , बढ़ती मैं हर रोज ।
मंजिल मुझे पुकारती , करते मेरी खोज ।।

साजन के सपने लिए ,मैं आई ससुराल ।
रंग सभी भरने लगे , होती आज निहाल ।।

हमने देखा है सजन , सपना सुंदर आज ।
जो अपने संबंध हैं , इसकी रखना लाज ।।

सपने जब जीवंत हो , आता है आनंद ।
गर्वित होते हैं सभी , जीवन के हर छंद ।।

कल की बातें गुप्त है , दिखलाये जो राह ।
सपने मन में हैं पले , देते विमल प्रवाह ।।

सपने सच होंगे सभी , करते रहो प्रयत्न ।
ईश्वर के दरबार में , कहलाओगे रत्न ।।

सपनों में आकर कहे , मैं तेरा चितचोर।
उठो चलो जागो प्रिये , बंँधे रहें इक डोर ।।

आँखों में सपने सजे , चलती पिय के संग ।
रंगरेज भरने लगे , उन सपनों में रंग ।।

स्वप्न मंजरी दे रही , सृजन क्षेत्र सुख सार ।
होगा कैसा दृश्य जब , हो ताली बौछार ।।

धन्यवाद दाता तुम्हें , हे करुणा सुख पुंज ।
सपने सच होने लगे , सुरभित जीवन कुंज ।।

जीवन बहती धार है , अंतिम मौत पड़ाव ।
मुदित माधुरी मंजरी , गढ़ सपने सद्भाव।।


माधुरी डड़सेना ” मुदिता “
भखारा

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