by कविता बहार | Aug 2, 2024 | हिंदी कविता
ठंडी का मौसम -अंजनी कुमार शर्मा आया है ठंडी का मौसमसूरज का बल हुआ है कमओढे़ कोहरे की चादरगाँव-गाँव और नगर-नगरस्वेटर पहने जन पडे़ दिखाईओढे़ कंबल और रजाईकाँप रहा है कलुआ कुत्ताखलिहान में पडा़ है दुबकाठंडी के आगे सब हारेछिप गये हैं चाँद और तारेबर्फीली हवाएँ जब चलतीतन-मन...
by कविता बहार | Aug 2, 2024 | हिंदी कविता
गुलाब पर कविता gulab par kavita गुलाब- गुल की आभा मैं हूँ अलबेला गुलाब,नहीं झुकता आए सैलाब।आँधी या हो तूफान,या तपे सूरज घमासान।कांटो को लपेटे बनाए परिधान,यही तो है मेरी पहचान।मुझसे पूछो कैसे पाएँ पहचान,मुस्कुराकर ले सबसे अपना सम्मान।चुभ जाऊँ अगर मैं भूलकर,फिर भी चूमा...
by कविता बहार | Aug 2, 2024 | हिंदी कविता
उषाकाल पर कविता / नीलम उषा के आगमन से रूठकरनिज तिमिर विभा समेटकरह्रदय मुकुल अपना सहेजकरमाधवी निशा कित ओर चली••• सज सँवर वह दमक-दमक करतीखी नयन वह चहक-चहक करसुरभि का देखो सौरभ खींच करमादक सी चुनर ओढ़ चली••• मंद-मंद मधु अधरों की लालीअलसित देह अमि की प्यालीछोड़ विगत घाट...
by कविता बहार | Aug 2, 2024 | हिंदी कविता
इंद्रधनुष के रंग उड़े हैं/ बाबू लाल शर्मा *विज्ञ* इन्द्र धनुष के रंग उड़े हैं. देख धरा की तरुणाई।छीन लिए हाथों के कंगन. धूम्र रेख नभ में छाई।।सुंदर सूरत का अपराधी. मूरत सुंदर गढ़ता हैकौंध दामिनी ताक ताक पथ. चन्दा नभ में चढ़ता है. नारी का शृंगार लुटेरापाहन लगता...
by कविता बहार | Aug 2, 2024 | अन्य काव्य शैली
गणपति गणपति पर कविता गणपति बप्पा आ गए ,भादो के शुभ माह।भूले भटके जो रहे , उन्हें दिखाना राह ।।उन्हें दिखाना राह , कर्म सत में पग धारे ।अंतस के खल नित्य , साधना करके मारे ।नियति कहे कर जोड़, चाहते हो गर सदगति ।शरणागत हो आज , ध्यान करना है गणपति ।।गणपति बप्पा मोरिया ,...