रामधारी सिंह दिनकर / श्याम कुँवर भारती
पूर्णिका _ दिनकर जैसा । हिंदी है हिंद का हृदय कोई आज ये सोचता है क्या।हिंदी बांधती है राष्ट्र को एक सूत्र कोई मानता है क्या। कलम में खूब जान डाल दे रचना में सभी रंग भर दे।रामधारी सिंह दिनकर…
पूर्णिका _ दिनकर जैसा । हिंदी है हिंद का हृदय कोई आज ये सोचता है क्या।हिंदी बांधती है राष्ट्र को एक सूत्र कोई मानता है क्या। कलम में खूब जान डाल दे रचना में सभी रंग भर दे।रामधारी सिंह दिनकर…
हिम्मत पर कविता (सरसी छन्द) हिम्मत रखना निशदिन मानव,जाना प्रभुके पास।गर खोयेगा तू हिम्मत को,टूट जायगी आस। धीरज मन में धारण करना,पाना मंजिल खास।निश दिन हमको बढना होगा होना नहीं निराश। कठिन परिश्रम करना सबको,मुश्किल होय हजार।जबतक लक्ष्य न मिलता…
श्री विष्णु अवतार विश्व कर्मा सृष्टि रची है जिसने,किया स्वर्ण लंका का निर्माणदेख महल लंका को,रावण को हुआ था अभिमान कर्म कार थे विश्वकर्मासाक्षात बिष्णु का अवतार।छन भर में सृष्टि रचनाकर लेते थे सू सुमार।। सत्रह सितम्बर प्रकट उत्सवविश्व विदित…
कुछ दिन जीवन बाकी है ===============न कर गुरूर इस जगत मेंन ही कोई ठौर ठिकाना है।आया है जो इस जहां पेनिश्चय ही होना रवाना है।। बना हुआ है जो यह भ्रान्तिसारी दुनिया हमारा है।कान खोलकर सुन मुरखसबन का यहां से…
सितारे पर कविता – माधुरी मोहिनी परियाँ नभ लोक धरा उतरी यह देख अचंभित है जन सारे। मुख ओज भरे चमके छड़ियाँ पर शोभित है मणि राज सितारे।। कहती सब पूरन कार्य पड़ा सुरधाम चलो शिव है बलिहारे। यह संगम…