और शाम हो जाती है
और शाम हो जाती है हर सुबह जिंदगी को बुनने चलता हूं उठता हूं,गिरता हूं,संभालता हूं और शाम हो जाती है।अपने को खोजता हूं, सपने नए संजोता हूं पूरा करने तक शाम हो जाती है।जिंदगी तुझे समझने में, दिल तुझे…

हिंदी कविता संग्रह

हिंदी कविता संग्रह
और शाम हो जाती है हर सुबह जिंदगी को बुनने चलता हूं उठता हूं,गिरता हूं,संभालता हूं और शाम हो जाती है।अपने को खोजता हूं, सपने नए संजोता हूं पूरा करने तक शाम हो जाती है।जिंदगी तुझे समझने में, दिल तुझे…

युवाओं के प्रेरणास्रोत दिव्य सोच साधना से अपनी,पावन ज्ञान का दीप जलाया।सोए लोगों की आत्मा को,स्वामी जी ने पहली बार जगाया।भगवा हिंदुत्व का संदेश सुनाकर,भारत को विश्वगुरु बनाया।तंद्रा में सोई दुनिया के लोगों को,विश्वश्रेष्ठ विवेकपुंज ने जगाया। 11 सितंबर1893 को…
फ़र्रूख़ाबाद हमारा है ऐतिहासिक भूमि है,हमें प्राणों प्यारा है।वीरों को जन्म देने वाला,फ़र्रूख़ाबाद हमारा है। साहित्य के क्षेत्र में,यहां की महादेवी जी सितारा हैं।छायावाद का सहयोगी,फ़र्रूख़ाबाद हमारा है। चीन, आस्ट्रेलिया और श्रीलंका ने,यह जनपद निहारा है।बौद्ध धर्म का तीर्थस्थल,फ़र्रूख़ाबाद हमारा…
अगर करो तुम वादा मुझसे मरुधर में भी फूल खिलादूँपर्वत को भी धूल बनादूँअगर करो तुम वादा मुझसेप्राण ! मेरे संग चलने का । हँस-हँसकर शूल चुनूँ पथ केपलकों की नाजुक उँगली सेबणीठणी-सा चित्र उकेरूंमग पर करुणा कजली से डगर-डगर…
जिंदगी का आखिरी सफर…. जिंदगी का आखिरी सफर बड़ा सुहाना होगाजो कभी मिलते भी नही थे उनका भी मेरे पास आना होगाजिंदगी का आखिरी सफर बड़ा सुहाना होगा । जो कठोर रहते थे, अपनी बात पे अड़े रहते थेजिनको कुछ…
जीवन का ये सत्य है , मिलन बिदाई संग शब्द बिदाई सुन लगे , होता कोई दूर ।अपने हमसे छूटते , होकर अति मजबूर ।। मात पिता का नेह ले , सृजन साधना शान ।करें बिदाई मंजरी , अद्भुत ले…
आती है खुशियां थोक में आती है खुशी थोक में,तेरे आने से ।झरती है मोती लब में, मुस्कुराने से ।यह असर है तेरी दोस्ती काजो दी है तुमने मुझे, तुमसे दिल लगाने से ।।इंतजार रहता है तेरा, मुझे सांसो से…
फिर कहते हो ये खराब थी मोबाइल दिया, आया बनाया, खाना खिलाया होटल में; इंटरनेट पर पहली पीढ़ी सवार थी, फिर कहते हो पीढ़ी खराब थी। बाहें चढ़ाई, दुपहिया दौड़ाया, दुर्घटना घटी बीच बाजार में; पी रखी शराब थी फिर…

शीत/ठंड पर हाइकु [1]शीत प्रदेशबरस रही चाँदीधूप बीमार । [2]शीत लहरकँपकपाते होंठहँसे धुनियाँ । [3]बैरन शीतप्रीतम परदेशखुशियाँ सुन्न । [4]मुस्काती धुँधसूरज असहायजीवन ठप्प । [5]ठण्ड में धूपदेती गरमाहटज्यों माँ की गोद । अशोक दीप✍️जयपुर Post Views: 96
महामारी से भी मिला उपहार-समय के सदुपयोग की कला और जीवन शैली में सुधार। कोरोना जैसी महामारी फैली,बदल गई, जीवन की शैली।।समय का इसने सदुपयोग सिखाया,जीने का नया ढंग समसाझा। आज मैं नौरा छतवाल,आई हूँ,इस मंच पर कुछ विचारों का…
कैसे कहदूँ प्यार नहीं है ? कैसे कहदूँ प्यार नहीं है ?वह मेरी झंकार नहीं है ? बिन बाती क्या दीप जला है ?कहीं रेत बिन बीज फला है ?कैसा सागर नदी नहीं तोजलद कहाँ जो धार नहीं है ?…
जाने कैसी बात चली है जाने कैसी बात चली है।सहमी-सहमी बाग़ कली है।। जिन्दा होती तो आ जातीशायद बुलबुल आग जली है। दुख का सूरज पीड़ा तोड़ेसुख की मीठी रात ढली है।। नींद कहाँ बसती आँखों मेंजब से घर बुनियाद…