चौपई या जयकरी छंद कैसे लिखें

चौपई या जयकरी छंद [सम मात्रिक] विधान – इसके प्रयेक चरण में 15 मात्रा होती हैं, अंत में 21 या गाल अनिवार्य होता है, कुल चार चरण होते हैं, क्रमागत दो-दो चरण तुकांत होते हैं l उदाहरण :भोंपू लगा-लगा धनवान,फोड़ रहे जनता के कान lध्वनि-ताण्डव का अत्याचार,कैसा है यह धर्म-प्रचार l– ओम नीरव

शब्दों की महत्ता पर कविता

शब्दों की महत्ता पर कविता चुभते हैं कुछ शब्द,चूमते हैं कुछ शब्द /शब्दकोश से निकलकर,भावनाओं की गली से-गुजरते हैं,और पाते हैं अर्थ,कहीं अनमोल,कहीं व्यर्थ ।संगति का प्रभावतो पड़ता ही है।कितने जीवंत रहे होंगे !शब्द जब भाव ने-दिया होगा जन्म ।पर प्रदूषित परिवेश की-परवरिश ने कर दिया –जर्जर,दुर्बल और तिरस्कृत।गलत हाथों में है मशालें,रोशनी के लिए … Read more

चौपाई छंद [सम मात्रिक] कैसे लिखें

चौपाई छंद [सम मात्रिक] विधान – इसके प्रत्येक चरण में 16 मात्रा होती हैं , अंत में 21 या गाल वर्जित होता है , कुल चार चरण होते हैं , क्रमागत दो-दो चरण तुकांत होते हैं l उदाहरण :बिनु पग चलै सुनै बिनु काना,कर बिनु करै करम विधि नाना lआनन रहित सकल रस भोगी,बिनु बानी … Read more

श्रृंगार छंद [सम मात्रिक]कैसे लिखें

श्रृंगार छंद (उपजाति सहित) [सम मात्रिक] विधान – इसके प्रत्येक चरण में 16 मात्रा होती हैं, आदि में क्रमागत त्रिकल-द्विकल (3+2) और अंत में क्रमागत द्विकल-त्रिकल (2+3) आते हैं, कुल चार चरण होते हैं , क्रमागत दो-दो चरण तुकांत होते हैं l उदाहरण :भागना लिख मनुजा के भाग्य,भागना क्या होता वैराग्य lदास तुलसी हों चाहे … Read more

पदपादाकुलक/राधेश्यामी/मत्तसवैया छंद [सम मात्रिक]

पदपादाकुलक/राधेश्यामी/मत्तसवैया छंद [सम मात्रिक] विधान – पदपादाकुलक छंद के एक चरण में 16 मात्रा होती हैं , आदि में द्विकल (2 या 11) अनिवार्य होता है किन्तु त्रिकल (21 या 12 या 111) वर्जित होता है, पहले द्विकल के बाद यदि त्रिकल आता है तो उसके बाद एक और त्रिकल आता है , कुल चार … Read more