लालसा पर कविता – पूनम दुबे

लालसा पर कविता जो कभी खत्म ना हो,रोज एक के बाद एक,नई इच्छाओं का जन्म होना,पाने की धुन बनी रहती है, लालसा सबको खुश रखने तक,सपनों को पूरा करने तक,कब चैन की सांस लेंगे,अंधेरों से उजालों तक,कभी तो चैन मिलेगा…

महानदी पर कविता – केवरा यदु

मोर महानदी के पानी मा – केवरा यदु चाँदी कस चमके चम चम जिंहा चंदा नाचे छम छम ।सोंढू पैरी के संगम भोले के ड़मरु  ड़म ड़म ।मोर महानदी के पानी  मा। महानदी के बीच में बइठे शिव भोला भगवान…

संतोषी महंत की नवगीत – संतोषी महंत

संतोषी महंत की नवगीत हंसकर जीवन​-अथ लिख दें या रोकर अंजाम लिखें।जीवन  की  पीड़ाओं  के औ कितने आयाम लिखें।। धाराओं ने सदा संभालातटबंधों ने रार किया।बचकर कांटों से निकले तोफूलों ने ही वार किया।।बंटवारा लिख दें किस्मत काया खुद का…

हाइकु

एकांत/हाइकु/निमाई प्रधान’क्षितिज’

एकांत/हाइकु/निमाई प्रधान’क्षितिज’ [१]मेरा एकांत सहचर-सर्जक उर्वर प्रांत! [२]दूर दिनांततरु-तल-पसरा मृदु एकांत! [३]वो एकांतघ्न वातायन-भ्रमर न रहे शांत ! [४]दिव्य-उजासशतदल कमल एकांतवास ! [५]एकांत सखाजागृत कुंडलिनी प्रसृत विभा ! *-@निमाई प्रधान’क्षितिज’*      रायगढ़,छत्तीसगढ़   मो.नं.7804048925 Post Views: 58

छत्तीसगढ़ी गीत – तेरस कैवर्त्य

छत्तीसगढ़ी गीत – झिन रोबे दाई मोर झिन रोबे दाई मोर झिन रोबे बाई मोर।रात दिन गुनत तंय ह झिन रोबे न ss अकेला ही जाहूँ , कोनो नइ जावय संग म। झुलत रही मुहरन , तोर नजरे नजर म।भुइंया…